वसुंधरा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार पर एक दिन का अनशन कर चुके पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खुद के अनशन को पार्टी विरोधी बताने पर रविवार को तंज कसा। उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को जो कुछ हुआ, वह सबके सामने हुआ। खुलेआम सोनिया गांधी के आदेशों की अवहेलना हुई, खड़गे साहब और माकन की खुलेआम बेइज्जती की गई। पार्टी विरोधी गतिविधि तो वह थी। उसके बाद कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई, फिर थम गई, उस पर भी सवाल उठेंगे, लेकिन इसका जवाब मेरे पास नहीं है।
कार्रवाई पर उठाए सवाल
पायलट रविवार को जयपुर के झारखंड महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह बात सच है कि 25 सितंबर को जो घटना हुई वह उस समय की हमारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरोध में बगावत थी। जो विद्रोह हुआ था, उससे पार्टी और सरकार को क्षति पहुंची थी। पार्टी ने शो कॉज नोटिस जारी किए। उसके बाद जवाब आए। नहीं आए तो क्या कार्रवाई हुई, यह सवाल तो बनता ही है। हमने पटवारी पर छापे मारने के लिए वोट नहीं मांगे थे। अनशन के दो सप्ताह के बाद भी सरकार ने कार्रवाई नहीं की है, यह अनशन पार्टी के हित में था।
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पटवारी पर कार्रवाई करने के लिए नहीं मांगे थे वोट
पायलट ने अपना स्टैंड दोहराते हुए कहा कि भाजपा राज के भ्रष्टाचार पर जांच और कार्रवाई की मांग करना पार्टी विरोधी गतिविधि कैसे हो गया? इसी बात को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा राज के भ्रष्टाचार की बात की, यह तो पार्टी के हित में था। हम महात्मा गांधी की पार्टी से आते हैं, जहां अन्याय और गलत पर आवाज उठाई जाती है, इसीलिए मैंने किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सरकार ने कार्रवाई की है, कुछ कार्रवाई हुई है, लेकिन हमने पटवारी पर कार्रवाई करने के लिए वोट नहीं मांगे थे। हमने वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए जनता से वोट मांगे थे।