दिवा रेलवे स्टेशन: कीलों पर बैठने की ये कैसी मजबूरी

लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है। जिसमें हर रोज लाखों लोग यात्रा करते हैं। लेकिन सेंट्रल लाइन में स्थित दिवा स्टेशन में यात्रियों को सुविधाएं देने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

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Diva Railway Station
दिवा रेलवे स्टेशन: कीलों पर बैठने की ये कैसी मजबूरी

लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है। जिसमें हर रोज लाखों लोग यात्रा करते हैं। लेकिन सेंट्रल लाइन में स्थित दिवा स्टेशन में यात्रियों को सुविधाएं देने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। यहां से हर रोज हजारों की संख्या में यात्री प्रवास करते हैं। दिवा रेलवे स्टेशन में प्लेटफॉर्म पर बैठने के लिए ना तो पर्याप्त बेंच हैं और ना ही प्लेटफॉर्म के पिलर पर बैठने के लिए पत्थर का घेरा बनाया गया है। उसकी जगह पर कीले निकाल दिए गए हैं। जिससे यात्रियों को बैठने की जगह प्लेटफॉर्म पर मजबूरी में खड़े रहना पड़ता है।

खड़े रहने को मजबूर यात्री
हर रोज यात्रा करने वाले सुरेश का कहना है कि हम लोकल पकड़कर डेली दादर जाते हैं। लेकिन प्लेटफॉर्म पर बैठने की उचित व्यवस्था न होने के कारण हमें दिवा स्टेशन में खड़ा रहना पड़ता है। यहां पर जो बेंच पड़ी हैं वह उतनी पर्याप्त नहीं हैं। प्लेटफॉर्म के पिलर में बैठने के लिए घेरा न बनाने के कारण और कहीं हम बैठ भी नहीं सकते हैं।

यात्री बोला- कहां बैठे हम
दिवा से लोकल ट्रेन पकड़कर हर रोज कल्याण जाने वाले अमर का कहना है कि हम हर सुबह दिवा से कल्याण की ट्रेन पकड़ते हैं। प्लेटफॉर्म में बहुत भीड़ रहती है। मुझसे ज्यादा देर खड़ा नहीं हुआ जाता है, लेकिन मजबूरी है। यहां पर बैठने के लिए पर्याप्त बेंच नहीं हैं और न ही प्लेटफॉर्म के पिलरों पर घेरा बनाया गया है, ताकि हम बैठ सकें। बैठने की उचित व्यवस्था न होने के कारण मजबूरी में पिलर के कीलों के बीच में जो थोड़ी जगह रहती है उसमें बैठना पड़ता हैं। रेवले को इस समस्या का निदान करना चाहिए, ताकि यात्रियों को सही से बैठने की जगह हो।

बैठने के लिए नहीं पर्याप्त बेंच
दिवा से ठाणे तक की यात्रा करने वाली अपर्णा का कहना है कि सुबह प्लेटफॉर्म में बहुत भीड़ होती है। बदलापुर और टिटवाला से आने वाली गाड़ियां भी दिवा आते-आते भर जाती हैं। ट्रेन में जगह न होने के कारण कई बार ट्रेन को छोड़ना पड़ता है। ऐसे समय में आखिर लोग कब तक खड़े रहेंगे, उन्हें भी बैठने का मन करता है। लेकिन, मजबूरी है कि यहां पर बैठने की जो बेंच पड़ी हैं वह उतनी नहीं हैं और यदि रेलवे प्लेटफॉर्म के पिलर के चारो ओर बैठने के लिए घेरा बना दिया होता तो उसमें बैठा भी जा सकता था। लेकिन, यहां पर तो पिलर में घेरे की जगह नटबोल्ट लगे हुए हैं, जिसके चलते हम बैठ भी नहीं सकते हैं। रेलवे को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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स्टेशन प्रबंधक ने कही ये बात
स्टेशन प्रबंधक मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि यहां पर यात्रियों की संख्या अधिक है। अधिक यात्री होने के कारण बैठने की व्यवस्था करना मुश्किल है। यहां पर बेंच की व्यवस्था की गई है, रही बात प्लेटफॉर्म में बने पिलर के किनारे घेरे की तो इसको लेकर हम इंजीनियर से बात करेंगे। हमारी यही कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द इस समस्या का निदान हो सके और यात्रियों को सुविधा मिल सकें।

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