प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 अप्रैल को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वें एपिसोड में देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा आंदोलन बन गया। इसमें कई सामाजिक सरोकार के मुद्दे उठाए गए।
मासिक कार्यक्रम मन की बात की सफलता पर कही ये बात
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ के श्रोता 100वें एपीसोड के लिए बधाई के पात्र हैं। ‘मन की बात’ लोगों की भावनाओं का प्रगटीकरण है। इसकी शुरुआत विजय दशमी के दिन हुई थी। ‘मन की बात’ असल में देशवासियों के लिए अच्छाइयों को मानने का पर्व बन गया। इसमें हम सकारात्मकता और लोगों की भागीदारी को मनाते हैं। ‘मन की बात’ का हर एपीसोड खास रहा है। पूरे देश के कोने-कोने से लोग इससे जुड़े।
‘मन की बात’ अहं से वयं की यात्राःप्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 अप्रैल को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100वें एपीसोड में कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए ‘स्व से समष्टि’ और अहं से वयं की यात्रा है। मन की बात उनके लिए आध्यात्मिक यात्रा बन गई है।
अपने मार्गदर्शक लक्ष्मणराव इनामदार को किया याद
इस दौरान उन्होंने अपने मार्गदर्शक लक्ष्मणराव इनामदार को याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मन की बात दूसरों के गुणों से सीखने का एक माध्यम बन गया है। वकील साहब (लक्ष्मणराव जी) हमेशा कहते थे कि हमें दूसरों दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए। वे कहते थे कि अपने विरोधी के भी अच्छे गुणों को जानना, सीखना और प्रयास करना चाहिए। यह उनके लिए हमेशा प्रेरणादायक रही है।