स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में मोडी लिपि (Modi Lipi) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह मोडी लिपि (Modi Lipi) प्रतियोगिता मुंबई के साथ ही पुणे, कोल्हापुर और अहमदनगर में आयोजित की गई थी। इस मोडी लिपि प्रतियोगिता (Modi Lipi) में सभी आयु वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता दो श्रेणी में रखी गई थी।
मोडी लिपि (Modi Lipi) के संवर्धन के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, जागतिक मोडी लिपि प्रसार समिती, शिवराज्याभिषेक समिति और दुर्गराज रायगड के संयुक्त तत्वावधान में कक्षाएं चलती हैं। महाराष्ट्र दिन के अवसर पर सातवीं राज्यस्तरीय मोडी लिपि स्पर्धा 2023 का आयोजन किया गया था। इसमें दो श्रेणी थी, सुंदर मोडी लिपि स्पर्धा और शीघ्र मोडी लिप्यंतर स्पर्धा। मोडी लिपि के संवर्धन के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के दादर स्थित प्रांगण में कक्षाएं संचालित की जाती हैं। इन कक्षाओं को सुनील कदम और पंकज भोसले की टीम द्वारा प्रशीक्षित किया जाता है।
इतिहास समेटे है मोडी लिपि (Modi Lipi)
मोडी लिपि (Modi Lipi) प्राचीन लिपि मालाओं में से एक है, जिसका उपयोग वर्ष 1950 के बाद आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया। लेकिन लगभग आठ सौ वर्षों का इतिहास मोडी लिपि (Modi Lipi) में लिखा गया है। इस लिपि में इतिहास के लाखो पन्ने लिखे गए हैं, जिन्हें पढ़ने और देवनागरी में रूपांतरण करने पर ऐतिहासिक ज्ञान हो पाएगा। इसके साथ ही भूमि अभिलेखागार के वर्ष 1950 के पहले के दस्तावेज मोडी लिपि (Modi Lipi) में हैं। मोडी लिपि के उपयोग पर आधिकारिक बंदी के बाद इसे सीखनेवालों की संख्या भी तेजी से कम हो गई है। जिससे पुराने दस्तावेज और इतिहास को पढ़नेवाले मात्र चंद लोग ही हैं।
हेमाद पंत ने शुरू की थी लिपि
मोडी लिपि (Modi Lipi)का प्रारंभ प्रचानी में वर्ष 1260 से 1309 के बीच मिलता है, जिसे महादेव और रामदेव यादव के काल में हेमाद पंत ने शुरू किया था। इसी प्रकार सबसे पुराना ऐतिहासिक लेख 1389 का प्राप्त हुआ था। मोडी लिपि (Modi Lipi) को छत्रपति शिवाजी महाराज के काल में अधिक गति मिली। उस काल के सभी ऐतिहासिक लेख इसी लिपि में हैं। मोडी लिपि (Modi Lipi) का संवर्धन छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पूर्व के इतिहास का संरक्षण भी है। इसीलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और जागतिक मोडी लिपि (Modi Lipi) प्रसार समिती द्वारा संयुक्त रूप से मोडी लिपि शिक्षण कक्षाएं संचालित की जाती हैं।