असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने 4 जुलाई को 150 से अधिक स्थानीय मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की। सीएम ने यह बैठक जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने को लेकर की। सरमा ने बताया कि सभी बुद्धिजीवियों ने इस बात पर सहमति जताई कि राज्य के कुछ भाग में जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधा है।
सभी ने जताई सहमति
बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि मैंने 150 से ज्यादा मुस्लिम बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों, इतिहासकारों और प्रोफेसरों तथा अन्य लोगों से मुलाकात की। हमने बैठक में ऐसे विभिन्न मुद्दों पर विचार किया, जो असम के अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े हुए हैं। बैठक में सभी इस बात से सहमत थे, कि असम के कुछ भागों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए खतरा है। असम को अगर देश के शीर्ष राज्यों में शामिल होना है तो हमें जनसंख्या विस्फोट से निपटना होगा। इस पर सभी सहमत थे।
8 उपसमूहों का किया जाएगा गठन
सीएम ने कहा कि प्रमुख हस्तियों ने अल्पसंख्यक समुदाय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कई तरह के उपाय भी सुझाए। उन्होंने कहा कि सरकार 8 उपसमूहों का गठन करेगी। इनमें स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग सदस्य होंगे। ये उपसमूह अगले तीन महीनों में समुदाय के विकास को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। उपसमूह स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पहचान, जनसंख्या और आर्थिक स्थिति को लेकेर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
The discussion centered around socio-economic issues affecting the indigenous Muslim population of Assam and was held in presence of Minister of Welfare of Minorities & Development Department @cmpatowary, Education Minister @ranojpeguassam, MLA & Pol Secy @jayanta_malla. 2/4 pic.twitter.com/qCXLd5VmfS
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 4, 2021
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रोडमैप तैयार करेगी सरकार
इन रिपोर्टों का संकलन करने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। सरकार उसी रोडमैप के अनुसार अगले पांच साल तक काम करेगी। हर उपसमूह में समुदाय से एक चेयरमैन और सरकार की ओर से एक सदस्य सचिव होगा।
जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की कवायद
बता दें कि हम दो हमारे दो की नीति के मद्देनजर सीएम ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ यह बैठक की। इससे पहले उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समुदाय की गरीबी और निरक्षरता खत्म करने का एक ही रास्ता है और इस मामले में अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से कोई विरोध नहीं है।