देश में कोरोना की दूसरी लहर ने संक्रमण के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कहीं ऑक्सीजन की कमी है तो कहीं अस्पतालों में बेड और अन्य जीवन रक्षक दवाओं की किल्लत। इस बीच कोरोना के तेजी से रुप बदलने का दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं। इस वजह से यह ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है।
डॉ. आशीष तिवारी ने इस बारे में जानाकारी देते हुए बताया कि हाल ही में कोरोना का बहुत ही खतरनाक रुप सामने आया है। सबसे पहले पश्चिम बंगाल में पाया गया कोरोना के ट्रिपल म्यूटेंट के बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है।
यह अभी तक के सभी म्यूटेंट से अलग
डॉ. तिवारी ने बताया कि अभी तक हम ब्रिटेन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका म्यूटेंट या स्ट्रेन के बारे में काफी कुछ सुन चुके हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में पहली बार कोरोना वायरस के ट्रिपल म्यूटेंट का पता चला है। इसका ऑफिशियल नाम बी.1.618 दिया गया है। इसके नाम के अनुसार इस वायरस में एक या दो नहीं, बल्कि तीन बार बदलाव आया है।
महाराष्ट्र में पाया गया था डबल म्यूटेंट
इससे पहले महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट पाया गया था। लेकिन ये ट्रिपल म्यूटेंट पहली बार पाया गया है। इसके बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी नहीं है और इसकी जांच लैब में की जा रही है। लेकिन कोरोना का यह म्यूटेंट काफी खतरनाक बताया जा रहा है। फिलहाल इस वायरस को दिल्ली, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी फैलने की आशंका जताई जा रही है।
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वायरस का नया रुप
ट्रिपल म्यूटेंट ने तीन अलग-अलग वायरस के रुपों को मिलाकर एक नया रुप धारण कर लिया है। इसलिए यह बहुत अधिक संक्रामक है और तुरंत ही ये लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
कई गुना संक्रामक
यह सामान्य कोरोना वायरस से कई गुना संक्रामक है। इसलिए घर में, बाहर और सोसाइटी में अगर कोई इससे संक्रमित व्यक्ति है, तो तुरंत दूसरे लोगों तक संक्रमण पहुंच जाता है और यह उनको अपना शिकार बना लेता है।
एंटीबॉडी का प्रभाव नहीं
किसी व्यक्ति के एक बार कोरोना संक्रमित होने के बाद उससे लड़ने के लिए उसके शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण होता है। एक बार शरीर मे एंटीबॉडी बन जाने के बाद उस पर सामान्य रुप से कोरोना का संक्रमण नहीं होता, लेकिन ट्रिपल म्यूटेंट, एंटी बॉडी बन चुके व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। इसके साथ ही इस पर एंटी वायरल दवाएं भी असरदार साबित नहीं होतीं।
आरटी-पीसीआर में भी पकड़ में नहीं आता
यह इतना खतरनाक है कि आरटी-पीसीआर में भी पकड़ में नहीं आता और यह पता करना मुश्किल हो जाता है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं।
टीका हो सकता है बेअसर
कोरोना का पता लगाने वाले जो मापदंड और तकनीक हैं, उससे ट्रिपल म्यूटेंट के बारे में पता लगाना मुश्किल है। इसलिए यह भी पता नहीं चल पाएगा कि यह व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। इस हालत में टीकाकरण के भी इस पर प्रभावी होने में संदेह है। इसलिए इस बीमारी में जिस टीके को वरदान मानकर चला जा रहा है, इस म्यूटेंट के मामले में व्यर्थ साबित हो सकता है।
बचाव ही सर्वोत्म उपाय
इस हालत में फिलहाल ट्रिपल म्यूटेंट से बचाव के उपाय पर ही ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
- गुणवत्तायुक्त और पूरे चेहरे को ढकने वाला मास्क का उपयोग करें
- दो मीटर की सामाजिक दूरी के नियम का पालन करें
- हाथ हमेशा अच्छी तरह साबुन से धोते रहें या सैनिटाइज करते रहें