गाय का दूध और दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी एवं लाभदायक होता है इसके अलावा गाय के विभिन्न उप – उत्पादों का निर्माण जैसे कि औषधीय उत्पाद, सौंदर्य उत्पाद, ईधन, गोबर गैस, खाद, बैल शक्ति आदि का उत्पादन कर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के गौ-पालन एवं पशुधन संर्वधन बोर्ड कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने 23 मार्च को बताया कि प्रदेश में लगभग 370 गौ-शालाओं में गौ-आधारित उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। गौ-शालाओं की बढ़ती आत्म-निर्भरता देश में गौ-वंश आधारित मॉडल स्थापित करेगी।
उन्नति के लिए मार्गदर्शन
उल्लेखनीय है कि स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि द्वारा लगातार प्रदेश की गौ-शालाओं का भ्रमण कर अच्छे कार्यों के लिये प्रोत्साहित करने के साथ इनकी उन्नति के लिये विभिन्न तरह का मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। नानाजी देशमुख गौ-विज्ञान चिकित्सा विश्वविद्यालय में अनुसंधान पर आधारित अनेक प्रकार के उत्पादन हो रहे हैं। ये अनुसंधान और नवाचार मध्यप्रदेश को देश में अग्रणी बनाएंगे। भोपाल के मदर बुल फार्म, आगर-मालवा जिले में कामधेनु गौ-अभयारण्य, रीवा जिले के बसावन मामा में गौ-वंश वन्य विहार, जबलपुर जिले में विज्ञान आश्रम काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं।
डेयरी उद्योग के प्रति प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना में नव-निर्मित गौ-शालाओं में निराश्रित और बेसहारा गौ-वंश को आश्रय देने के साथ इन्हें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आत्म-निर्भर बनाया जा रहा है। गौ-वंश से ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने के सफल प्रयास किये जा रहे हैं। साथ ही युवा वर्ग को शासकीय योजनाओं के माध्यम से डेयरी उद्योग के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है।