इस वर्ष सुरक्षित और सेहतमंद होली! दीदियां ऐसे तैयार कर रही हैं बिना केमिकल के हर्बल गुलाल

इस साल होली के त्योहार को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के लिए बिना किसी केमिकल के उपयोग के ही हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है।

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पहली बार हर्बल गुलाल स्व सहायता समूह की दीदियों के द्वारा तैयार किया जा रहा है, यह हर्बल गुलाल किसी भी प्रकार से शरीर के स्कीन को नुकसान नहीं करेगा। इसमें बिना किसी केमिकल के उपयोग के ही हर्बल गुलाल तैयार हो रहा है, समूह से जुड़ी दीदियों को जहां पहले रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश पलायन करना पड़ता था लेकिन आज समूह के माध्यम से उन्हें जिले में एक नए रोजगार के तहत अपना लिए स्वरोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है।

जिले के ग्राम नागारास के कोट्टीगुड़ा के मुस्कान समूह की दीदियों के लिए दोगुनी खुशी साथ लेकर आया है। हर्बल गुलाल वेट्टी बसंती, मासे, मुक्के कवासी, बंडी कवासी, सुंदरी अधिकारी के द्वारा तैयार किया जा रहा है। जिले वासियों को हर्बल, रसायल रहित रंग उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें स्वयं रोजगार मिला। इस वर्ष सुकमा जिले मेें होली के पर्व को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के उद्देश्य से एक अभिनव पहल करते हुए मुस्कान समूह की पांच दिदियों को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप के मार्गदर्शन में इन दिदियों को रोजगार का साधन उपलब्ध कराते हुए गुलाल बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे उन्हें घर पर ही अच्छी आमदनी प्राप्त होगा।

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मिला उम्मीदों का रंग
सुंदरी अतकारी ने बताया कि रोजगार का अभाव था जिसके चलते गांव में कोई काम नहीं था इस कारण से हम लोग पड़ोसी राज्य में मिर्ची तोड़ने के लिए जाना पड़ता था। जहां हम लोगों को बहुत मुश्किल से कुछ दिनों का रोजगार मिल पाता था। मुस्कान स्व सहायता समूह के द्वारा हर्बल गुलाल रंग तैयार करने की प्रशिक्षण दिया गया। जिससे हम लोग अब हर्बल गुलाल का निर्माण कर रहे हैं, अब हमारी उम्मीद जागी है कि इसके माध्यम से हमें एक अच्छा रोजगार मिल सकता है और भविष्य में इसे हम और बेहतर ढंग से करेंगे तो हमारे लिए एक आय का अच्छा स्रोत होगा।

ऐसे तैयार हो रहा है हर्बल गुलाल
हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए सभी सामग्री प्राकृतिक रूप से इस्तेमाल की जा रही है, जिसमें मक्के के आटे और खाने की रंगों का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। गुलाल में खुशबु के लिए इस मिश्रण में सुगंधित बॉडी पाउडर और बादाम के तेल का उपयोग कर रही हैं। जिस कारण इस गुलाल को बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी निश्चिन्त होकर प्रयोग में ला सकते है। उन्होंने बताया कि इस हर्बल रंग गुलाल से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा है।

गुलाल बनाने की प्रशिक्षण से लेकर मार्केटिंग में मदद
ग्रामीण आजिविका मिशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक महेन्द्र चौहान ने बताया कि मुस्कान समूह की दीदियों को पंखुड़ी संस्था के माध्यम से गुलाल बनाने से लेकर बाजार बनाने तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लाल, हरा, पीला, नीला और गुलाबी रंग के कुल 2 क्विंटल मात्रा में गुलाल बना रहीं हैं। उन्होंने बताया की गुलाल को स्थानीय बाजार के साथ ही शबरी मार्ट और स्टाल लगाकर क्रय किया जाएगा। सुकमा वासियों के साथ ही हर होली त्यौहार मनाने वाले को यह गुलाल आकर्षक पैकेजिंग में मात्र 30 रुपए में उपलब्ध किया जाएगा।

महिलाओं को प्रशिक्षण देकर हर्बल गुलाल तैयार
जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप ने बताया कि स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है, जिसमें पांच से सात कलर तैयार हो रहे हैं इसकी बेहतर पैकेजिंग के साथ 10 मार्च से सुकमा के बाजार में स्टॉल के माध्यम से बिक्री के लिए उपलब्ध करवाई की जाएगी।

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