ग्लूकोमा लक्षणहीन रोग है जो आंखों की रोशनी को सीधे प्रभावित करता है। इसके कारण कई बार मितली, उल्टी, धुंधला दिखना, प्रकाश की जगह प्रभामंडल दिखने लगता है।
भारत में लगभग सवा करोड़ लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं। ये भी उतना ही सच है कि जागरूकता के अभाव में 90 प्रतिशत लोग इलाज के बगैर रह जाते हैं। इसका पता लगाने के लिए अवश्यक है कि आंखों का विस्तृत परीक्षण अच्छे नेत्र विशेषज्ञ के द्वारा किया जाए। प्रतिवर्ष जनवरी माह में ग्लूकोमा जागरूकता माह मनाया जाता है।
ग्लूकोमा से बचाव के लिए डॉक्टरों का मानना है कि 40 की उम्र के बाद आंखों की नियमित जांच करवाना आवश्यक है। इसमें ऑप्टिक नर्व परीक्षण, आखों की प्रेशर जांच, पेरीमेट्री और ओसीटी परीक्षण आवश्यक है।
ग्लूकोमा क्या है?
इस रोग में आखों की ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके कारण पीड़ित अंधेपन का शिकार हो जाता है। इस बीमारी में आखों का प्रेशर धीमी गति से बढ़ता है जिसके कारण आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में रोशनी जब बहुत कम हो जाती है तब लोग नेत्र विशेषज्ञ की सलाह के लिए पहुंचते है। जिसके कारण आंखों की रोशनी लौट नहीं पाती।