गुड़ी पड़वा का त्योहार अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार मराठी और कोंकणी वासियों के लिए नए साल का प्रतीक है। महाराष्ट्र और गोवा में चैत्र प्रतिपदा तिथि पक्ष के हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार मनाया जाता है।
इस त्योहार को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। कोंकण के लोगों द्वारा इसे संवत्सर कहा जाता जाता है, जबकि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे उगादि के नाम से जाना जाता है। गुजरात में इसे नवरेह के नाम से मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में इसे बैसाखी के रुप में भी मनाया जाता है।
Punjab: Scores of devotees pay a visit to Sri Harmandir Sahib (Golden Temple) in Amritsar on the occasion of Baisakhi pic.twitter.com/LSsW9BEEWM
— ANI (@ANI) April 13, 2021
इस मौके पर देश के दिग्गज नेता देशवासियो को बधाई दे रहे हैं। केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर लोगों को इस त्योहार पर बधाई दी है।
Navreh Mubarak!
Best wishes to everyone on the auspicious occasion of Navreh. Praying for everyone's happiness and good health.
— Amit Shah (@AmitShah) April 13, 2021
गुड़ी पड़वा का मुहूर्त और महत्व
शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल, 2021 को प्रातः 10.16 बजे प्रतिपदा तिथि का समापन। इस खास दिन पर लोग अपने-अपने तरीके से त्योहार मनाते हैं। ये त्योहार आपसी सौहार्द की पहचान है। यह लोगों के बीच भाईचारगी बढ़ाता है। समाज के लोग इस दिन मिल-जुलकर त्योहार मनाते हैं। हालांकि इस इस वर्ष इस त्योहार पर कोरोना संकट का साफ असर देखा जा रहा है।
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अध्यात्मिक महत्व
गुड़ी पड़वा का आध्यात्मिक महत्व है। कहा जाता है कि भगवान राम अपनी धर्मपत्नी देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के लंबे वनवास के बाद श्रीलंका के राजा रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे। उसी उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है।
ऐसी भी हैं मान्यताएं
मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। कहा यह भी जाता है कि युद्ध में जीत मिलने के बाद प्रख्यात राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने पहली बार गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया था।
विजय का प्रतीक
गुड़ी पड़वा का शाब्दिक अर्थ होता है गुड़ी यानी विजय पताका और पड़वा मतलब प्रतिपदा तिथि। यानी चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा पर्व विजय के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन अपने घरों को सजाने से समृद्धि आती है और बुराइयों का नाश होता है। इसलिए इस दिन लोग तरह-तरह से अपने घरों को सजाते हैं।इस दिन फसल की पूजा भी जाती है।