झारखंड की राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में गर्मी का कहर जारी है। गर्मी बढ़ने से लोगों का हाल बेहाल है। लोग अपने घर में रहने को विवश हैं। बहुत जरूरी होने पर ही लोग अपने घर से बाहर निकल रहे है। इस संबंध में 22 अप्रैल को रिम्स के मेडिसिन विभाग के एचओडी डाक्टर विद्यापति ने बढ़ती गर्मी और उससे बचाव के बारे में बातचीत की।
तेज धूप के कारण लू लहने का खतरा
डाक्टर विद्यापति ने बताया कि बढ़ती गर्मी और तेज धूप के कारण लोगों को लू (हीट स्ट्रोक) लगने का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए हीट स्ट्रोक से बचाव और सावधानी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि गर्मी के समय में पानी की कमी होने लगती है। प्रचुर मात्रा में पानी या पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए, जिससे कि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।
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धूप से बचाव बेहद जरूरी
उन्होंने बताया कि दोपहर के समय में सूर्य की किरणें काफी तेज होती हैं। इस दौरान कोशिश करे कि खासकर बच्चे और बुजुर्ग बाहर नहीं निकले। बहुत जरूरी हो तो छाता और टोपी का प्रयोग करें। धूप से बचाव बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि धूप से आकर तुरंत फ्रीज का ठंडा पानी नहीं पीए। ठंडा पानी पीने से गला में इंफेक्शन, वायरल फीवर होने की संभावना बनी रहती है। बाहर बिकने वाले ठेले और होटलों में बिकने वाले खाने का सामान का सेवन ना करें।
गर्मी बढ़ते ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ा
-रांची में गर्मी बढ़ते ही मौसमी बीमारियां कहर बरपा रही हैं। रिम्स और सदर अस्पताल के ओपीडी और इमरजेंसी में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इनमें लू (हीट स्ट्रोक), डायरिया, दस्त, उल्टी, पेट दर्द और पीलिया मरीज शामिल हैं। सामान्य वार्ड में भर्ती मरीजों में भी मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या ज्यादा है।
-सदर के डॉक्टर अजित ने बताया कि सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना 700 से 800 मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें सामान्य बीमारियों वाले मरीजों की संख्या 500 के करीब होती है। इसमें भी 10 प्रतिशत मरीज लू और डायरिया से ग्रसित बताए जा रहे हैं। साथ ही पेट दर्द के मरीज भी करीब 15 से 20 रोज आ रहे हैं। फिलहाल अस्पताल में लू और डायरिया के लगभग 40 मरीज भर्ती हैं।
-दूसरी ओर रिम्स में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ विद्यापति ने बताया कि पिछले 15 दिनों में मौसमी बीमारी के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो यही निष्कर्ष निकला है कि फिलहाल अस्पताल में आ रहे मरीजों में 35 से 40 फीसदी मरीज लू और मौसमी बीमारियों से ग्रसित हैं। ऐसे में बहुत जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें।
लू लगने के लक्षण
-सिर का भारीपन और सिरदर्द
-अधिक प्यास लगना
-शरीर में भारीपन के साथ थकावट
-जी मिचलाना, सिर चकराना और शरीर का तापमान बढ़ना
-पसीना आना बंद होना
-मुंह लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना
-बेहोशी जैसी स्थिति का होना
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