आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने एक अध्ययन रिपोर्ट सार्वजनिक की है। जिसके अनुसार जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GAI) कार्यों को पूरी तरह करने के बजाय कार्यों को स्वचालित सिस्टम में लाने की प्रक्रिया है।
क्या है अध्ययन?
नौकरी की मात्रा और गुणवत्ता पर संभावित प्रभावों का एक वैश्विक विश्लेषण किया गया है कि, अधिकांश नौकरियां (Job) और उद्योगों (Industry) में कार्यों को करने की प्रक्रिया आंशिक रूप से स्वचालित है। इसमें जेनेरेटिव एआई बजाय इसके कि कार्यों को पूर्ण रूप से निभाए एक गति देगा। इसलिए, इस तकनीक से नौकरियां कम नहीं होंगी बल्कि, नौकरियों की गुणवत्ता, विशेष रूप से काम की तीव्रता और स्वायत्तता में संभावित बदलाव होने की संभावना है।
इन कार्यों पर खतरा
लिपिकीय कार्य को एआई से सबसे अधिक खतरे की श्रेणी में पाया गया है, जिसमें लगभग एक चौथाई कार्यों पर ही सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसी प्रकार अन्य व्यावसायिक कार्य जैसे प्रबंधक, पेशेवर और तकनीशियनों के कार्यों का केवल एक छोटा सा हिस्सा प्रभावित हो सकता है।
देशों के अनुसार एआई का प्रभाव
अध्ययन के अनुसार उच्च आय वाले देशों में कुल नौकरियों का 5.5 प्रतिशत संभावित रूप से प्रौद्योगिकी के स्वचालित प्रभावों के संपर्क में है, जबकि कम आय वाले देशों में, स्वचालन का जोखिम केवल 0.4 प्रतिशत रोजगारों पर ही है। दूसरी ओर, सभी देशों में वृद्धि की संभावना लगभग समान है, जिससे पता चलता है कि सही नीतियों के साथ, तकनीकी परिवर्तन की यह नई लहर विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकती है।
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पुरुष और महिलाओं पर प्रभाव
अध्ययन से पता चलता है कि जेनेरेटिव एआई के संभावित प्रभाव पुरुषों और महिलाओं पर अलग अलग पड़ा सकता है। महिलाओं के रोजगार पर एआई की स्वचालन तकनीकी से सबसे अधिक प्रभावित होगी। इसका कारण है कि, लिपिकीय कार्यों में महिलाओं का अत्यधिक प्रतिनिधित्व है, विशेषकर उच्च और मध्यम आय वाले देशों में। इसका कारण है कि, लिपिकीय नौकरियाँ पारंपरिक रूप से महिला रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही हैं।