सुपरनोवा विस्फोट क्या है? भारतीय छात्रों को जानने में मिली सफलता

सुपरनोवा के रूप में एक तारे की विस्फोटक अंत ब्रह्मांड की सबसे विलक्षण और भयावह घटनाओं में से एक है।

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भारतीय खगोलविदों की एक टीम ने सुपरनोवा का अवलोकन करके ऐसे सुपरनोवा विस्फोट के संभावित तंत्र के बारे में पता लगाया है, जोकि ब्रह्मांड संबंधी दूरियों की प्रमुख माप की जानकारी प्रदान करता है। एसएन 2017 एचपीए नाम के एक सुपरनोवा, जोकि एक विशेष प्रकार का सुपरनोवा है और जिसे आई ए सुपरनोवा कहा जाता है और जिसमें 2017 में विस्फोट हो गया, के बारे में इन खगोलविदों के विस्तृत अध्ययन ने शुरुआती चरण के स्पेक्ट्रा में बिना जले हुए कार्बन के अवलोकनों के जरिए सुपरनोवा के विस्फोट तंत्र के बारे में पता लगाने में मदद की।

सुपरनोवा क्या है?
सुपरनोवा के रूप में एक तारे की विस्फोटक अंत ब्रह्मांड की सबसे विलक्षण और भयावह घटनाओं में से एक है। टाइप आई ए सुपरनोवा उन व्हाइट ड्वार्फ के विस्फोटों का नतीजा हैं जो अपने द्रव्यमान पदार्थ को उपचय के जरिए चंद्रशेखर सीमा से अधिक कर लेते हैं। उनकी समांगी प्रकृति उन्हें ब्रह्मांड की दूरी को मापने का उत्कृष्ठ मानक कैंडल बनाती है। हालांकि विस्फोट तंत्र, जो इन सुपरनोवा (एसएनई) का निर्माण करते हैं, और उनके पूर्वज प्रणाली (तारे जो सुपरनोवा परिघटना के मूल में है) की सटीक प्रकृति को अभी भी स्पष्ट रूप से समझा नहीं जा सका है। यों तो ज्यादातर एसएनईआईए समांगी हैं, इन परिघटनाओं का एक खासा अंश उनके प्रकाश वक्र के साथ–साथ उनके वर्णक्रमीय गुणों, दोनों, में विविधता दिखाते हैं।

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छात्रों को शोध में मिली सफलता
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी के छात्र अनिर्बन दत्ता द्वारा अपने सहयोगियों के साथ इस संबंध में किया गया शोध हाल ही में ‘मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी (एमएनआरएएस)’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह शोध सुपरनोवा की पूर्वज प्रणाली के एक कार्य के साथ-साथ इसके गुणों और इस तरह के सुपरनोवा के विस्फोट तंत्र के रूप में इस विविधता को समझने में मदद करेगा।

शोधकर्ताओं में से एक अनिर्बन दत्ता का कहना है कि “विस्फोट के तंत्र के साथ ही पूर्वज प्रणाली पर सख्त बंधनों को रखने के लिए ऐसे और अधिक वस्तुओं का विस्फोट के शुरुआती घंटों से लेकर विस्फोट के बिल्कुल अंतिम चरण तक अध्ययन करना बेहद महत्वपूर्ण है।”

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