छड़ीमार होली के लिए 200 महिलाओं को न्यौता! जानिये, क्या है सदियों से चली आ रही धार्मिक प्रथा

भगवान श्रीकृष्ण जब छोटे थे, तो गोपियां कन्हैया से होरी खेलने के लिए छड़ियों पर गोटा लगाती थीं। गोकुल में यमुना किनारे मुरलीधर घाट पर होली चबूतरा है।

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श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल में छड़ी मार होली की भव्य तैयारियां पूरी हो गई हैं। यहां होली खेलने के लिए गोकुल की दो सौ महिलाओं को न्यौता भेजा गया है। मंदिर के पुजारियों द्वारा छड़ियों पर गोटा लगाया गया है। गोकुल की छड़ी मार होली को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए गोकुल नगरवासी तैयारियों में जुटे हुए हैं।

14 मार्च को नंद भवन के सेवायत पुजारी मथुरा दास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जब छोटे थे, तो गोपियां कन्हैया से होरी खेलने के लिए छड़ियों पर गोटा लगाकर होरी खेलती थी। गोपियों का कन्हैया पर इतना प्रेम था कि कहीं लाला को चोट नहीं लग जाये, इस लिए छड़ियों पर गोटा लगाया गया। यह परम्परा आज भी गोकुल में जीवित है गोकुल की महिलाओं को छड़ी पर गोटा लगा कर दिया जाता है।

निकलेगा ठाकुर जी का डोला
नंद भवन से 15 मार्च की सुबह साढ़े ग्यारह बजे ठाकुर जी का डोला निकलेगा, जिसमें ठाकुर जी विराजमान होकर मंदिर से गांव की माखन चोर गली, दान गली, मान गली, अंधेरी गली, नंद चौक होकर मुरलीधर घाट पर पहुंचेंगे। गोकुल की गलियों में फूलों की होली खेलते हुए निकलेंगे।

घाट पर है होली चबूतरा
यमुना किनारे मुरलीधर घाट पर होली चबूतरा है, वहां पर टेसू के फूलों से बना रंग एवं गुलाल बरसेगा। छड़ी मार होली खेलने के लिए गांव की दो सौ महिलाओं को न्योता दिया गया है। छड़ी मार होली खेलने से पूर्व मंदिर में ही सभी महिलाओं को मेवा युक्त दूध पिलाया जाता है।

होली खेलने के बाद सभी महिलाओं को फऊआ देने की प्रथा
होली खेलने के बाद सभी महिलाओं को फऊआ देने की प्रथा भी निभाई जाती है, जिसमें प्रत्येक महिला को एक थाल एवं भोग प्रसाद दिया जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित विठ्ठल शर्मा ने बताया होली के लिए 11 कुंतल फूल मंगाएं गए हैं, जिसमें गेंदा, गुलाब, चमेली, मोगरा, आदि फूल शामिल हैं। 20 बोरी गुलाल एवं 50 किलो रंग हाथरस से मंगाया गया है।

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