अब देशों से ही नहीं, तारों से भी लड़ रहा अमेरिका.. क्या सफल होगा महाशक्ति का महाप्रयोग?

धरती की ओर बढ़नेवाले तारों से बचाव के लिए के बड़ा प्रयोग हो रहा है, लेकिन इसमें भी एक रणनीतिक संदेश जुड़ा हो सकता है। जिससे अमेरिका विश्व की महाशक्ति है इसे प्रमाणित करते हुए विश्व समुदाय को याद दिलाया जाए।

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का बड़ा प्रयोग शुरू हो चुका है। अपने इस प्रयत्न में वैश्विक महाशक्ति एक तारे को मोड़ने की मुहिम शुरू कर चुका है। इसके लिए उसका एक स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष में उड़ान भर चुका है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का डार्ट स्पेस क्राफ्ट (डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट) वेन्डबर्ग स्पेस फोर्स बेस से उड़ान भरा है। यह 330 मीलियन डॉलर की परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत डिमोरफोस नामक एक तारे (एस्टेरॉयड) को दूसरी ओर मोड़ने का प्रयत्न किया जाएगा।

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कैसा है तारा?
इस तारे का नाम डिमोरफोस है, जो 525 फीट (160 मीटर) का है और 15 हजार मील (24,139 किलोमीटर) प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा है। डिमोरफोस तारा अपने से बड़े तारे डीटीमोस का भ्रमण कर रहा है। यह 11, 55 मिनट में डिडीमोस का एक भ्रमण पूरा करता है। यह दोनों ही तारे पृथ्वी के लिए किसी भी स्तर पर क्षति पहुंचानेवाले नहीं हैं, परंतु अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी अपने महाप्रयोग से यह पता करना चाहती है कि वह कितनी सफल हो सकती है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

डार्ट (डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट) का महत्व
डार्ट तकनीकी के माध्यम से एक प्रयत्न है तारों की दिशा को मोड़ने का, जिसके लिए डार्ट स्पेस क्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजकर उनसे टकराने दिया जाता है। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन के अनुसार, सही बात यह है कि, डार्ट विज्ञान की कल्पना को वैज्ञानिक सत्य प्रमाणित करेगा। जो संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभकारी होगी।

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