देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एनडीडीबी ने तेज किया आहार संतुलन कार्यक्रम!

दूध उत्पादकों को असंतुलित आहार देने से होने वाली हानियों और संतुलित आहार से होने वाले लाभों को समझने की आवश्यकता है।

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2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) दुग्ध उत्पादन और पशुओं की समग्र देखभाल के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए लगातार अभियान चला रही है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड आहार संतुलन कार्यक्रम के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए कम लागत में अधिक दूध उत्पादन का टिप्स देश के पशुपालकों को दे रही है। बिहार का डेनमार्क कहे जाने वाले बेगूसराय में भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद दुग्ध उत्पादक संघ (बरौनी डेयरी) द्वारा एनडीडीबी के साथ व्यापक पैमाने पर लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।

पशुओं को दिए जाने वाले आहार में आम तौर पर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध एक या दो कंसन्ट्रेट पशु खाद्य पदार्थ, घास एवं सूखे चारे होते हैं, जिससे उनका आहार असंतुलित हो जाता है। पशुओं के आहार में प्रोटिन, ऊर्जा, खनिज तत्त्वों तथा विटामिनों की मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है। असंतुलित आहार से पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है, दुग्ध उत्पादकों की भी डेरी उद्योग से होने वाली शुद्ध आय में कमी होती है, क्योंकि पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता की पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है। कभी कभार जब पशुओं को ज्यादा खिलाया जाता है, तब दूध उत्पादन की लागत में वृद्धि भी हो जाती है। इसलिए दूध उत्पादकों को असंतुलित आहार देने से होने वाली हानियों और संतुलित आहार से होने वाले लाभों को समझने की आवश्यकता है।

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संतुलित आहार जरुरी 
दूध का कम उत्पादन, वृद्धि-विकास दर और प्रजनन क्षमता की कमी हो जाती है। पशुओं की आनुवंशिक क्षमता की तुलना में दूध का कम उत्पादन, प्रजनन काल में कमी और दो बच्चों के बीच अधिक अंतर होता है। पशुओं के दुग्ध ज्वर और कीटोसिस जैसी चय-अपचय (मेटाबोलिक) से संबंधित बीमारियां होने की अधिक संभावना, बछड़ों का विकास मंदगति से होना और बछियों के प्रथम बार गर्भवती होने में अधिक समय लगना तथा कम दुग्ध उत्पादन तथा उत्पादक जीवन की अल्प अवधि हो जाती है।

क्या है पशुओं का संतुलित आहार
संतुलित आहार एक प्रक्रिया है, जो उपलब्ध खाद्य पदार्थों के द्वारा पशुओं को देय विभिन्न पोषक तत्त्वों के स्तर को संतुलित करती है। मिश्रित पशु आहार, वृद्धि-विकास और दुग्ध उत्पादन के लिए पोषक तत्त्वों का संतुलित स्रोत माना जाता है। मिश्रित पशु आहार दुग्ध-उत्पादकों द्वारा प्रयुक्त खाद्य पदार्थों को सदा संपूरित नहीं करता है।

खाद्य पदार्थ में सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, कपास, सोयाबीन, ग्वार, मक्का की ग्लुटन, तिल, नारियल, अलसी, करडी की खल्ली, तेल रहित चावल का चोकर, राइस पॉलिश, गेहूं का चोकर, मक्के का चोकर आदि। इसके अलावा मक्का, ज्वार, गेहूं, चावल, बाजरा एवं चूनी आदि को उपलब्धता एवं कीमत के अनुसार खिलाया जाना चाहिए। मुख्यतया पशुओं को गेहूं, धान, ज्वार, मक्का, बाजरे का भूसा एवं स्थानीय घास दिया जाता है। हरा चारा में मक्का, ज्वार, जई, संकर नेपियर, बाजरा, रिजका, लोबिया तथा बरसीम चारा अलग-अलग मौसम में उपलब्ध होता है तथा सीमित मात्रा में खिलाया जाता है।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का आहार संतुलन कार्यक्रम-
बरौनी डेयरी में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुग्ध उत्पादक पशुओं से कम-से-कम कीमत पर अधिक से अधिक दूध का उत्पादन निश्चित करना है। इसके लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों को आवश्यकता के अनुसार पुनः समायोजित किया जाता है। ताकि पशुओं को उनके आहार से प्रोटीन, खनिज तत्त्वों, विटामिन तथा ऊर्जा की उपयुक्त मात्रा मिल सके। एनडीडीबी ने संतुलित आहार तैयार करने के लिए प्रयोग में सरल एक कम्प्युटर प्रोग्राम बनाया है, जिसे स्थानीय जानकार व्यक्ति (एलआरपी) द्वारा उपयोग किया जा सकता है। स्थानीय जानकार को स्थानीय भाषा में इस सॉफ्टवेयर के प्रभावी प्रयोग का प्रशिक्षण कार्यकारी एजेंसी देती है।

आहार संतुलन प्रशिक्षण है क्या-
पशुओं के पोषण स्तर का मूल्यांकन प्रचलित खाद्य रीतियों तथा दुग्ध उत्पादन, दुग्ध वसा प्रतिशत, शरीर भार, ब्यांत तथा गर्भावस्था स्थिति जैसे कारकों के आधार पर किया जाता है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों के रासायनिक संघटन के मूल्यांकन के लिए सॉफ्टवेयर में देश के विभिन्न भागों में उपलब्ध खाद्य पदार्थों, घास और चारा की रासायनिक संघटन की जानकारी दी जाती है। विभिन्न अनाजों, प्रोटीन खल्लियां, चोकर, चूनी, कृषि औद्योगिक सह उत्पाद हरा चारा, घास, फसल, अवशिष्टों, पेड़ों की पत्तियों तथा खनिज संपूरक के रासायनिक संघटन के बारे में सॉफ्टवेयर के द्वारा जाना जा सकता है। किसी पशु की शुष्क पदार्थ, क्रूड प्रोटीन, कुल सुपाच्य पोषक तत्त्व, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कुल पोषण आवश्यकता का ध्यान रखा जाता है।

कम लागत में संतुलित आहार का निर्माण-
उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों के रासायनिक संघटन तथा पशुओं की पोषक तत्त्वों की आवश्यकताओं के अनुसार, सॉफ्टवेयर से कम से कम लागत पर आहार तैयार किया जाता है। पशु पोषण तथा खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को भी ध्यान में रखा जाता है। स्थानीय जानकार व्यक्ति पशु खाद्य पदार्थों का उसी अनुपात में प्रयोग कर कम लागत में आहार तैयार करने की जानकारी सॉफ्टवेयर के अनुसार दुग्ध उत्पादक को देते हैं। खाद्य पदार्थ में परिवर्तन होने पर, स्थानीय जानकार व्यक्ति सॉफ्टवेयर के द्वारा कम लागत में आहार की पुन: योजना बनाते हैं।

स्थानीय जानकार व्यक्ति दुग्ध उत्पादक की आवश्यकतानुसार उससे मिलता है तथा दूध की गुणवत्ता एवं मात्रा से सम्बन्धित विभिन्न परीक्षणों का रिकार्ड रखता है। जिसमें संतुलित आहार कार्यक्रम के लागू होने से पूर्व और उसके पश्चात दूध के उत्पादन की लागत तथा प्रति पशु शुद्ध आय में वृद्धि का हिसाब भी शामिल है। कार्यान्वयन एजेंसी दुग्ध सहकारी संस्था, सेवा मंडल संगठन तथा गैर सरकारी संस्था स्थानीय जानकार व्यक्ति को एनडीडीबी के आहार संतुलन कार्यक्रम सॉफ्टवेयर युक्त व्यक्तिगत डिजिटल सहायक (पीडीए), नेटबुक, तौल मशीन, मापक टेप तथा पशुओं की पहचान के लिए इयर टैग्स देती है।

आहार संतुलन कार्यक्रम से क्या होगा लाभ-
स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों का प्रयोग करके कम कीमत में पशुओं के लिए संतुलित आहार मिलता है। दूध उत्पादन में वृद्धि तथा फैट एवं एसएनएफ में भी वृद्धि से शुद्ध आय में वृद्धि होती है। प्रजनन क्षमता में सुधार तथा दो बच्चों के बीच में अंतर कम होता है, जिससे पशुओं के उत्पादक जीवन में वृद्धि होती है। पशुओं के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार, बछड़ों-बछियों की विकास दर में सुधार से वे शीघ्र युवा होते हैं।

क्या कहते हैं अभियान में लगे गिरिराज सिंह-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए लगातार अभियान चला रही है। जिसके कारण दूध उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, नस्ल में सुधार किया जा रहा है, सिर्फ बछिया जनने वाला सार्टेज सीमेन हर पशु पालकों तक पहुंच रहा है। सालों भर हरा चारा की उपलब्धता और पशुओं की समुचित देखभाल सुनिश्चित की जा रही है।

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