कुशीनगर कम्युनिटी साइकोलाजी एसोसिएशन आफ इंडिया के संरक्षक मनोवैज्ञानिक प्रो. एनके सक्सेना ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पर माता-पिता के पालन-पोषण प्रणाली का अधिक प्रभाव पड़ता है। प्रायः देखा जाता है कि अभिभावक बच्चों से अधिक उम्मीदें पाल लेते हैं और उनकी पूर्ति के लिए बच्चों पर दबाव बनाते रहते हैं। इससे बच्चों में तनाव, कुंठा व अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
प्रो. सक्सेना 10 अक्टूबर को बुद्ध पीजी कालेज के मनोविज्ञान विभाग व कम्युनिटी सायकोलाजी एसोसिएशन आफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ”वैश्विक परिप्रेक्ष्य में सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बालक की परिपक्वता के अनुसार ही उम्मीद रखनी चाहिए। कभी अधिक उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
जिला चिकिसालय के साइकियाट्रिस्ट डा. उज्ज्वल सिंह ने कहा कि कोरोना के बाद मानसिक बीमारियों में वृद्धि हुई है। मानसिक रोगों को पहचानने में कठिनाई होती है। उन्होंने मानसिक रोगों के कारणों व लक्षणों के बारे में बताया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुषमा पांडेय ने कहा कि प्राचीन काल से ही मन-शरीर सम्बंध पर बल दिया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आवश्यक है। कहा कि अच्छे व आशावादी लोगों से मिलते-जुलते रहना चाहिए।
संयोजक डा. अमृतांशु शुक्ल ने कहा कि सभी के जीवन में तनावपूर्ण स्थितियां आती हैं। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता सभी को है। अतिथि परिचय प्रो. रामजी लाल ने दिया। प्राचार्य डा. सिद्धार्थ पांडेय ने स्वागत किया। डा. सीमा त्रिपाठी ने संचालन व आभार डा. रामभूषण मिश्र ने ज्ञापित किया।
काउंसलिंग साइकोलाजिस्ट एंड फेमिली थेरापिस्ट विभा बोस, डा. रश्मि मिश्रा पीपीएन कालेज कानपुर, डा. आराधना गुप्ता मेडिकल कालेज कानपुर, डा. उर्मिला यादव, डा. कुमुद त्रिपाठी आदि ने विषय वस्तु पर उद्बोधन दिया।
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