भारत में गाय के महत्व के बारे में बात करने वाले लोगों को धर्मांध और पुराने विचारों वाला बताकर उनकी आलोचना की जाती है। हालांकि हिंदू धर्म में गाय को पवित्र मानते हुए इसे माता का दर्जा दिया गया है और इसे गौमाता कहा जाता है। ऐसी मान्यता के कारण समाजवादी, तथाकथित प्रगतिशील लोग हिंदुओं की आलोचना करते हैं और मजाक उड़ाते है। उनका मानना है कि गाय दूसरे जानवरों की तरह ही एक सामान्य जानवर है।
वे गायों के महत्व को नकारते हुए कहते हैं कि उनकी कत्ल करना और उनका मांस खाना गलत नहीं है। भारत के बहुत से नागरिक जिस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं, अब अमेरिका के उस बात को समझने लगे हैं। वर्तमान में कोरोना महामारी में अपना मानसिक स्वास्थ्य गंवा चुके अमेरिकियों को अब गायों की उपस्थिति में शांति मिल रही है।
शांति पाने के लिए जा रहे हैं गौशाला
गायों के गले लगाने और उसके साथ समय बिताने को लेकर सीएनबीसी ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रसारित की है। कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने इसे ट्वीट किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के कारण अमेरिका के लोग मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। लगातार संक्रमण के डर से लागू लॉकडाउन ने अमेरिकी जनता को त्रस्त कर दिया है। तमाम आधुनिक संसाधनों के बावजूद अमेरिकी मानसिक शांति पाने के लिए गौशाला जा रहे हैं। वे गायों को गले लगा रहे हैं। उसके साथ मौन बातचीत कर रहे हैं।
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At $200 an hour, cow hugging is a growing wellness trend in the United States.
Clearly, India was ahead of the curve — dharmic scriptures have venerated cows & cattle for over 3,000 years 🕉🐮pic.twitter.com/7xPKCGYUhf
— Milind Deora | मिलिंद देवरा ☮️ (@milinddeora) May 22, 2021
एक घंटे के लिए दे रहे हैं डेढ़ हजार रुपए
गौशाला में गायों की विभिन्न नस्लें हैं। वर्तमान में ये गौशला अमेरिकी नागरिकों से भरी हुई है। यहां के नागरिक गायों को गले लगाने के लिए खुशी-खुशी 200 डॉलर यानी लगभग 1500 रुपए प्रति घंटे दे रहे हैं। वे यहां गायों के साथ घंटों समय बिता रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनका तनाव कम होता है। उन्हें मानसिक शांति मिलती है
गर्व की बात
निश्चित रुप से यह भारत के लिए गर्व की बात है। हालांकि कई लोग अब भी इसकी आलोचना कर सकते हैं। आसानी से मिलने वाले इस गाय को ऐसे लोग यहां सामान्य जानवर मानते हैं। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है, इसलिए अन्य धर्म के लोग इसके महत्व को नकारते हैं। यहां तक कि एक सामान्य जानवर मानते हुए मांस निर्यात के लिए इनका कत्ल किया जाता है।