पीपल के वृक्ष का पूजन हिंदू धर्म में क्यों है महत्वपूर्ण?

पीपल को पवित्र वृक्ष माना गया है। इसकी पूजा के महत्व को जान लेते हैं इस लेख में।

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पीपल वृक्ष

पीपल का पूजन वैदिक काल से सनातनी करते रहे हैं। त्यौहारों के समय और श्रावण में तो इसका महत्व बढ़ गया है। धार्मिक उत्सवों के दिन सबेरे जल अर्पण करना और दीपक प्रज्वलित करना लाभकारी माना जाता है। पीपल के वृक्ष का पूजन जिस प्रकार महत्वपूर्ण माना गया है, उसी प्रकार पीपल के पत्तों का भी महत्व है। इसकी पत्तियों को पूजा के समय लेकर मंत्रों का जाप किया जाता है और इसके द्वारा अनुष्ठानों की सिद्धि प्राप्ति की जाती है। पूजन के अलावा पीपल का आयुर्वेदिक दवाओं में भी उपयोग किया जाता है। औषधि के रूप में इसकी पत्तियों, छाल और बीजों से कई रोगों के उपचार किया जाता है।

पीपल का वैदिक महत्व
पीपल का वृक्ष वेदों और पुराणों में बहुत महत्वपूर्ण है। पीपल की उत्पत्ति और महत्व के बारे में वेद और पुराणों में कई सूक्ति और श्लोक लिखे गए हैं।

ऋग्वेद में पीपल का उल्लेख –
“अश्वत्थो वृक्षो अर्कः” इस पंक्ति से किया गया है। यजुर्वेद में पीपल का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें पीपल को “देवो वृक्ष” और “विश्वप्रसूति” भी कहा गया है।

अथर्ववेद में पीपल को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। अथर्ववेद के एक श्लोक में कहा गया है
“अश्वत्थो वृक्षो विश्वस्य रूपमेतत् सनातनं
तद्योर्मगं प्रपद्ये स वेद यस्तं वेद सर्वम्”
अर्थ – “पीपल वृक्ष विश्व का रूप है और यह सनातन है। जो इसके नीचे बैठता है, वह सब कुछ जानता है।”

भगवद् गीता में भी पीपल के बारे में उल्लेख किया गया है। गीता में कहा गया है
“अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:।
गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि:।।”
अर्थ – “पीपल वृक्ष सभी वृक्षों में सबसे ऊँचा होता है। नारद और गन्धर्वों के रथ भी इसके बीच से गुजरते हैं। सिद्धों में कपिल मुनि भी इसके नीचे बैठते हैं।”

पुराणों पीपल का महत्व
पद्म पुराण में भी पीपल के महत्व का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, पद्म पुराण में पीपल की महिमा के बारे में कई कथाएं भी हैं। उनमें से एक कथा बताती है कि भगवान विष्णु ने पीपल के वृक्ष को अपना आश्रय दिया था।

उपनिषद में पीपल का महत्व
उपनिषदों की बात करें तो उपनिषदों में भी पीपल का विस्तृत वर्णन किया गया है। उपनिषदों में पीपल को “बोधि वृक्ष” भी कहा जाता है। उपनिषदों के अनुसार, पीपल का वृक्ष ब्रह्माण्ड का प्रतीक होता है और इसे में जीवित और मृतक दोनों जीवों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

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पीपल का पूजन की विधि

1. पीपल के पेड़ के नीचे एक माला या रुद्राक्ष माला फैलाएं

2. पीपल की स्थापना के लिए जड़ पर अर्घ्य चढ़ाएं। अर्घ्य के लिए गंगा जल, दूध का

उपयोग करें

3. पीपल के नीचे बैठें और माला या रुद्राक्ष माला लेकर मंत्र जप करें

4. पीपल पूजन के दौरान भगवान का ध्यान करें

5. पूजन के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं

6. पूजन की समाप्ति के पश्चात प्रसाद वितरित करें

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