कोरोना महामारी काल में कैश का चलन काफी कम हो गया है। लॉकडाउन के कारण देश के काफी लोगों ने ऑनलाइन और डिजिटल लेनदेन को अपनाना बेहतर समझा। इस कारण जहां प्रत्यक्ष रुप से बैंकों में लोगों का आना जाना कम हुआ, वहीं पेटीएम और अन्य तरह से ऑनलाइन पेमेंट की संस्कृति को बढ़ावा मिला।
अब सरकार की कोशिश है कि प्रत्यक्ष रुप से कैश के लेनदेन को जितना हो सके, कम किया जाए। इसके लिए सरकार के साथ ही आरबीआई जैसे संस्थान भी तेजी से कदम उठा रहे हैं।
आरबीआई की तैयारी
भारतीय रिजर्व बैंक इसके लिए बड़ी तैयारी कर रहा है। हालांकि उसकी शुरुआत छोटे स्तर पर होगी, लेकिन धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जाएगा। डिजिटल करेंसी के चलन शुरू होने से कैश लेकर चलने की परेशानी और रिस्क से बचा जा सकेगा।
आरबीआई का मानना है कि छोटे-बड़े हर तरह के ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल करेंसी की अनुमति मिलने पर इकोनॉमी में रुपए के स्टॉक में वृद्धि की संभावना है। डिजिटल करेंसी लॉन्च होने के बाद ग्राहक बैंक में जमा अपनी रकम को डिजिटल वालेट में रख सकेंगे। बता दें कि हाल ही में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी।
कई देश कर रहे हैं विचार
इससे नोट छपाई की लागत में कमी आएगी और क्रिप्टो जैसी वर्चुअल करेंसी से अर्थव्यवस्था को खतरा नहीं रहेगा। भारत के अलावा अमेरिका और चीन जैसे देश भी अपनी डिजिटल करेंसी लाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। डिजिटल करेंसी का एक फायदा यह भी होगा कि इसके इस्तेमाल से लूट और चोरी जैसे अन्य तरह के रिस्क भी कम होंगे। इसके साथ ही आरबीआई भी इस पर आसानी से नजर रख सकेगा।
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डिजिटल वालेट में रहेंगे पैसे
डिजिटल करेंसी भी पर्स या वालेट में रखे जाने वाले नोट की तरह होगी। दोनों में अंतर केवल इतना होगा कि वह डिजिटल वालेट में होगी। अभी क्रिप्टो जैसी वर्चुअल करेंसी प्रचलन में हैं, लेकिन उसका कोई सरकार की गारंटी नहीं है। उनके मूल्य में लगातार बनी अस्थिरता इकोनॉमी के लिए खतरनाक हो सकता है। लेकिन आरबीआई की ओर से जारी होने वाली डिजिटल करेंसी की पूरी जिम्मेदारी आरबीआई की होगी।
खास बातें
- नोटों की छपाई और वितरण की लागत बचेगी
- लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी और ब्लैक मनी पर शिकंजा कसेगा
- जाली नोटों के गोरखधंधे भी कम होंगे
- लूट और चोरी का खतरा भी कम होगा
- क्रिप्टो और वर्चुअल करेंसी के रिस्क की टेंशन कम होगी