बारिश के मौसम में पालघर में उगने वाला ककोड़ा बिना खेती के ही हजारों लोगों की कमाई का बड़ा जरिया है। ग्रामीण इलाकों में उगने वाली 100 प्रतिशत जैविक सब्जी की खेती कोई किसान नहीं करता, इसके बावजूद कई दशकों से यह सब्जी सैकड़ो आदिवासियों गरीब परिवारों, सैकड़ों सब्जी विक्रेताओं के लिए कमाई का साधन बनी हुई है। औषधि गुणों और पौष्टिक तत्वों से भरा ककोड़ा सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण ढाई से तीन माह में इनकी मांग अधिक रहती है। पालघर के अलावा वाड़ा, मोखाडा, दहानू जव्हार,विक्रमगढ़ और तलासरी के जंगली क्षेत्र और गांवों के किनारों की झाड़ियों व पहाड़ियों के बीच ककोड़ा भरपूर मात्रा में होता है। इसकी मांग नासिक से लेकर मुंबई व अन्य कई महानगरों में है। क्षेत्र में ककोड़ा 100 से 200 रुपये किलो तो महानगरों में 300 से 400 रुपये किलों के भाव बिकती है।
बारिश में वरदान
बारिश के सीजन में जब आदिवासियों रोजगार के कई रास्ते बंद होते हैं, तब ककोड़ा की सब्जी ग्रामीण भागों में रहने वाले सैकड़ो परिवारों की आमदनी का इकलौता जरिया बनता है। एक अनुमान के हिसाब से जिले में हर साल 300 से 400 टन ककोड़ा की पैदावार होती है। शून्य खर्च में होने वाली इस सब्जी को बाजार में खपाने के लिए सब्जी मंडियों के दुकानदार और इन्हें जंगल से तोड़ने वाले गरीब व आदिवासी परिवारो की ठीक-ठाक कमाई हो जाती है।
जंगलों में खुद उग आती है ककोड़ा की फसल
ककोड़ा एक प्राकृतिक फसल है, जो जंगली इलाकों में खुद ही उग जाती है। वैसे तो कम उपजाई और कम पानी में इसकी बेलें खूब फैलता हैं, लेकिन बारिश पड़ने पर ही इसकी अच्छी पैदावार होती है।
पालघर में ककोड़ा की बंपर पैदावार
अगस्त के अंत तक बाजार से गायब हो जाने वाला ककोड़ा इस साल न सिर्फ भरपूर बल्कि सस्ते दामों में भी मिल रहा है। जानकारों का कहना है,कि ककोड़ा की बेलें सूखकर जमीन में रह जाती हैं, यह जड़ें बारिश होते ही फिर से हरियाने लगती हैं। इस साल अच्छी बारिश होने स इसकी अच्छी पैदावार हुई है।
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बीमारियों में लाभदायक
डॉक्टरों का कहना है,कि बारिश के सीजन में आने वाली हर सब्जी में कीटनाशक उपयोग होता है, लेकिन ककोड़ा पूरी तरह जैविक होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन व आयरन होता है, इसीलिए यह सेहत के लिए मीट से कई गुना ताकतवर है। 100 ग्राम ककोड़ा की सब्जी से 17 कैलोरी ऊर्जा शरीर को मिलती है, जो वजन कम करने , डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसके सेवन से आंखों की कम होती रौशनी, सर का दर्द, बालों के झड़ने, पेट के इंफैक्शन, खांसी, कानों के दर्द और पीलिया जैसी बीमारियों में काफी राहत मिलती है इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर शरीर को पोषण देकर बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। इसलिए आदिवासियों के लिए ककोड़ा किसी वरदान से कम नहीं है।