वो पहुंचा केरल… देर से पर रहेगा दमदार

मौसम विभाग के अनुमान से पीछे रहा है इस वर्ष का मॉनसून। लेकिन दो दिनों की देरी भी इसकी ठंडी बूंदों से तृप्त हो गई हैं।

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भूमि की आठ महीनों की तृष्णा को शांत करने वर्षा आ गई है। केरल के तट पर इसका आगमन हो गया है। इसके बाद यह यहां से आगे बढ़ेगी। मौसम विभाग ने इस वर्ष सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की है।

हम बात कर रहे हैं वर्षा ऋतु की जिसे दक्षिण पश्चिम मॉनसून भी कहा जाता है। भारतीय मौसम विभाग के मुख्य निदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा ने इसकी पुष्टि कर दी है। सामान्य रूप से दक्षिण पश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून तक पहुंचा जाता है।

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प्राकृतिक सौंदर्य के लिए केरल को पहाड़ी घाटियां, झरने, नदी, तालाब और समुद्र का पूरा खजाना प्राप्त है। इसे देखकर ही कहा जाता है यह ईश्वर का देश है। यहां की हरियाली की प्यास बुझाने वर्षा ऋतु का आगमन हो चुका है। देश में केरल पहला प्रदेश है जहां से दक्षिण पश्चिम वर्षा की शुरुआत होती है। इस वर्ष यह अपने तय समय से दो दिन पीछे है।

मौसम विभाग का अनुमान
दक्षिण पश्चिम मॉनसून अरब सागर, लक्षद्वीप, दक्षिण केरल, दक्षिण तमिलनाडु, कोमोरिन मालदीव और दक्षिण पश्चिम बंगाल की खाड़ी में सक्रिय हो गया है।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून इसके बाद दक्षिण और मध्य अरब सागर, केरल के अन्य हिस्सों, लक्षद्वीप, तमिलनाडु के बचे हिस्से, पुदुच्चेरी, कर्नाटक के तटीय और आंतरिक हिस्सों, रायलसीमा, बंगाल की खाड़ी के हिस्से में आगामी दो दिनों में सक्रिय हो जाएगा।
पहले मौसम विभाग ने कहा था कि वर्षा का आगमन इस वर्ष 31 मई को हो जाएगा, हालांकि इसमें उन्होंने चार दिनों का अंतर रखा था जो बढ़ या घट सकता है।
इस वर्ष बारिश सामान्य रहेगी। यह देश के लिए अच्छा संकेत है। कोविड 19 से चरमराई अर्थव्यवस्था को कृषि के माध्यम से नई लय प्राप्त होगी।

ऐसे चलता है मॉनसून
वर्षा ऋतु यद्यपि जून से शुरू हो जाती है लेकिन, इसमें मॉनसून की सक्रियता अधिक आवश्यक होती है। सामान्य रूप से जून के पहले पांच दिनों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून केरल पहुंच जाता है। केरल में यह 1 जून को अपनी बौछारें बिखेरने लगता है। इसके बात उत्तर की ओर बढ़ता है।
मॉनसून के 7 जून के लगभग कोलकाता पहुंचने का अनुमान रहता है।
अरब सागर से बहनेवाले पवन मॉनसून को गतिशील करते हैं और वह 10 जून को मुंबई पहुंचता है।
मध्य जून तक मॉनसून के बादल सौराष्ट्र, कच्छ व मध्य भारत को आच्छादित कर लेते हैं।
1 जुलाई को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पूर्वी राजस्थान और अन्य प्रदेशों तक वर्षा की पहली फुहार पड़नी शुरू हो जाती है।
मध्य जुलाई तक मॉनसून कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।

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