ब्लू सुपरमून दिखना बहुत ही दुर्लभ इवेंट है, जो 30 अगस्त को दिखेगा। इस दौरान चन्द्रमा आसमान में पूरा चमकदार दिखाई देगा, जबकि सामान्य तौर पर चंद्रमा जब अपनी कक्षा में पृथ्वी के निकटतम बिंदु पेरिगी पर पहुंचता है तो इसे सुपरमून कहते हैं। हमारे ग्रह से लगभग 2,26,000 मील की दूरी पर चंद्रमा सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग सात प्रतिशत बड़ा दिखता है, हालांकि आपको ज्यादा अंतर नजर नहीं आएगा, लेकिन यह एक मजेदार एस्ट्रोनॉमिकल इवेंट है जिसे लोग देख सकते हैं।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने 29 अगस्त को बताया कि नासा के सेवानिवृत्त एस्ट्रोफिजिसिस्ट फ्रेड एस्पेनक के अनुसार यह सुपरमून लगभग 2,22,043 मील दूर होगा। सुपरमून बिल्कुल नया शब्द है। ज्योतिषी रिचर्ड नोल ने 1979 में इस शब्द का निर्माण किया जिसका अर्थ 90 प्रतिशत पेरिगी के भीतर नया या पूर्ण चांद था। फुल मून या पूर्ण चंद्रमा उज्ज्वल होते हैं और नए चंद्रमा पृथ्वी से शायद ही कभी दिखाई देते हैं, लेकिन दोनों ही ज्वार या टाइड्स को प्रभावित करते हैं।
रंग के आधार पर नहीं रखा गया नाम
स्ट्रॉबेरी मून्स और पिंक मून्स के समान ब्लू मून का नाम उसके रंग के आधार पर नहीं रखा गया है। इसके बजाय यह सब समय के बारे में है। दरअसल यह कभी-कभी होने वाली घटना है इसलिए इसे ब्लू सुपरमून कहा गया है। बुधवार को इस महीने की दूसरी पूर्णिमा होगी। पहला सुपरमून इस महीने पहली तारीख को था।
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ब्लू मून की अलग-अलग परिभाषाएं
ब्लू मून की वर्तमान परिभाषा के अनुसार एक महीने में आने वाले दूसरे सुपरमून को ब्लू मून कहते हैं। वहीं एक पुरानी परिभाषा में एक वर्ष में पूर्ण चंद्रमाओं की संख्या का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर साल में 12 फुल मून होते थे, लेकिन कभी-कभी एक एक्स्ट्रा भी हो जाता था। कांग्रेस की लाइब्रेरी के अनुसार कुछ प्रकाशनों जैसे ‘मेन फार्मर्स अल्मनैक’ ने वर्ष को अलग तरीके से मापा, इसकी शुरुआत दिसंबर के अंत में हुई।
ब्लू सुपरमून दिखना है दुर्लभ
सुपरमून अपने आप में दुर्लभ इवेंट नहीं हैं, आम तौर पर साल में तीन या चार सुपरमून होते हैं, हालांकि, ब्लू मून बहुत आम नहीं हैं। लगभग 33 चंद्रमाओं में से केवल एक ही ब्लू सुपरमून कहलाने के योग्य होता है। ब्लू सुपरमून हर 10 से 20 सालों में दिखाई देता है। नासा के अनुसार अगला ब्लू सुपरमून 2037 में दिखाई देगा।