काशी में पर्यटकों की लगातार बढ़ती आमद देखते हुए सरकार, वाराणसी में कई योजनाओं पर काम कर रही है। अब काशी में देव दीपावली पर प्रदूषण रहित वातावरण में पर्यटक नौका विहार कर सकेंगे।
प्रदूषण से मुक्त करने का प्रयास जारी
वाराणसी में गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने का प्रयास तेजी से चल रहा है। जिससे बोटिंग करने वाले पर्यटकों को तेज आवाज और जहरीले धुंए का सामना नहीं करना पड़ेगा और घाट भी प्रदूषण मुक़्त रहेगा। गंगा में डीज़ल इंजन से चलने वाली बोट को सीएनजी में तब्दील करने का काम तेजी से चल रहा है। नमो घाट पर ही फ़्लोटिंग सीएनजी स्टेशन बनाया गया है। जो बाढ़ में भी तैरता हुआ काम करेगा। रविदास घाट पर भी एक फ़्लोटिंग सीएनजी स्टेशन प्रस्तावित है। गंगा में बोटिंग करने पर अब आपको ज़हरीले धुवों और कानफोड़ू बोट के तेज आवाज से जल्दी मुक्ति मिल जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में बोट को सीएनजी में परिवर्तित करने का काम तेजी से चल रह है।
ये भी पढ़ें – पुणे में एक महीने में चौथी बार बढ़ी सीएनजी की कीमत, इन शहरों में भी बढ़ाने का दबाव
वाराणसी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि अभी तक डीजल और पेट्रोल से चलने 850 में से 371 बोट को सीएनजी में परिवर्तित कर दिया गया है। बचे हुए बोट को देव दीपावली तक सीएनजी में बदल दिया जाएगा। सीएनजी से चलनी वाली बोट इको फ्रेंडली और करीब 50 प्रतिशत किफायती है।
नमो (खिड़किया) घाट पर पानी में तैरता हुआ जेटी पर सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनाया गया है। इसकी खासियत ये है की बाढ़ और तेज बहाव में भी बहेगा नहीं बल्कि पानी के साथ अपने को एडजस्ट कर लेगा। रविदास घाट पर भी एक फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन प्रस्तावित है। सीएनजी आधारित बोट डीजल से कम लागत में अधिक दूरी तक चलती है। डीजल या पेट्रोल इंजन वाली छोटी बड़ी नाव पर करीब 2 से ढाई लाख की लागत आती है। सीएनजी किट लग जाने पर नाविकों को डीजल इंजन वापस करना होगा। गेल इंडिया कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी प्रोजेक्ट के तहत इस काम को करा रही है।
सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुकाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है। सल्फर डाइऑक्सइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण काम होता है। डीजल इंजन के तेज आवाज से जो कम्पन होता है। उससे इंसान के साथ ही जलीय जीव जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है। डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है अतः इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होने की सम्भावना है।
Join Our WhatsApp Community