वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। इनोवेशन, डिजिटलाइजेशन और रिवर्स माइग्रेशन ने लोगों के काम करने के स्थान, वजह और माध्यम को बदल दिया है। उद्योग-आधारित आवश्यकताओं ने व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में एक नाटकीय परिवर्तन किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की राय है कि 6ठी कक्षा से व्यावसायिक प्रशिक्षण को शामिल किया जाए और सभी स्कूलों में इसका प्रसार हो। कौशल विश्वविद्यालयों और रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) कार्यक्रमों के विस्तार पर काम किया जा रहा है, जिसमें लोगों को नौकरी के लिए तैयार करने या एक उद्यमी के रूप में अपना भविष्य बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। स्पष्ट रूप से औपचारिक शिक्षा से स्किलिंग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि, रोजगार योग्यता भागफल में सुधार आए।
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अनुराग गुप्ता (सीओओ, एम्परसेंड – शिक्षा, परामर्श और कौशल सेवाएं) ने बताया कि व्यावसायिक शिक्षा में दो ट्रेंड्स हमारी अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेंगे:
आजीविका और उद्यमिता पर नए सिरे से फोकस:
बार-बार किए गए लॉकडाउन के दौरान रिवर्स माइग्रेशन के परिणामस्वरूप हमारे कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा अपने गांवों में वापस चला गया और उनकी तरफ से शहरों में वापस जाने की अनिच्छा सामने आई। समय की मांग है कि स्थानीय स्तर पर आजीविका और व्यवसाय के अवसर पैदा किए जाएं, जिसके परिणामस्वरूप आगे रोजगार का सृजन होगा। इसके लिए, व्यावसायिक शिक्षा द्वारा ऐसे कौशल प्रदान करने की आवश्यकता होगी जो उनके व्यावसायिक सूझबूझ को विकसित करने और स्थानीय मुद्दों के लिए नवीन समाधान लाने में मदद करें। ऐसे कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को स्थानीय उद्योगों से परिचित कराते हैं और उन्हें उनकी पसंद के क्षेत्र में प्रवेश करने की राह दिखाते हैं। इसके अलावा, संकल्प योजना के तहत जिला कौशल समितियों की स्थापना के साथ, हम जमीनी स्तर पर कौशल विकास के विकेन्द्रीकरण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इससे आगे चलकर उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा।
भविष्य की स्किल्स पर फोकस:
व्यावसायिक प्रशिक्षण मुख्य औद्योगिक क्षेत्रों से प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्रों और हरित नौकरियों में स्थानांतरित हो जाएगा। हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और नए जमाने की तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स से संबंधित तकनीकों में प्रशिक्षित पेशेवरों की मांग बढ़ रही है। शारीरिक कौशल की मांग को तेजी से तकनीकी, सामाजिक व भावनात्मक और उच्च संज्ञानात्मक कौशल की मांग द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
इन ट्रेंड्स से लाभ उठाने के लिए, एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। एक कुशल प्रणाली जो निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकी और सामग्री वितरण विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की पहुंच का उपयोग करती है, व्यावसायिक शिक्षा में उत्कृष्टता के नए मानकों को पेश कर सकती है। इस प्रकार हमें भारत को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलती है।
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