छात्रों के लिए दबाव भरा समय होता शिक्षा काल। वर्तमान समय में आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल जैसे क्षेत्रों में प्रवेश के लिए परिजनों का दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में छात्र परेशान हो जाते हैं। इस दबाव को लेकर विभिन्न संगठनों और एजेंसियों ने सर्वेक्षण किये हैं, जिसमें परिजनों की अपेक्षाओं के कारण छात्रों पर अतिरिक्त दबाव की बातें सामने आई हैं। इसके कारण महाराष्ट्र में पिछले आठ महीनें में 22 छात्रों की आत्महत्या की बात सामने आई है।
सेवा निवृत्त प्राचार्य और समुपदेशक सुदाम कुंभार कहते हैं कि, अपने बच्चों (Child) पर अतिरिक्त दबाव (Pressure) न डालें। बच्चों की क्षमताओं को पहचान कर ही उनकी शिक्षा की दिशा तय करनी आवश्यक होती है। अन्यथा बच्चों में निराशा (Depression) और अतिरिक्त बोझ पड़ता है। राजस्थान (Rajasthan) का कोटा (Kota) देश की प्रतियोगी परीक्षाओं का केंद्र (Competitive Exam Centre) है, उस शहर को अब लोग आत्महत्याओं का शहर (Suicide City) लोग कहने लगे हैं। वहां बड़ी संख्या में छात्र देश के विभिन्न कोने से आते हैं, जो परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन कई छात्र इस तैयारी में ही टूट जाते हैं। महाराष्ट्र में भी स्थिति बहुत अलग नहीं है। वर्तमान की प्रतियोगी परिस्थिति में सभी परिजन और छात्र अच्छे सपने बुनते हैं, लेकिन कई दबाव में आ जाते हैं। महाराष्ट्र (Maharashtra) में वर्ष 2023 के आठ महीनों में 22 छात्रों ने अपनी जान दे दी (Suicide) है। यह बहुत ही चिंता की बात है।
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परिजनों के लिए सलाह
- बच्चों की क्षमता का निर्णय आयु के 13-14 वर्ष में करें
- स्कूली शिक्षा के समय ही बच्चों की रुचि समझें
- बच्चों को कौन सा क्षेत्र पसंद हैं, इसके लिए विस्तृत चर्चा करें
- आवश्यक होने पर बच्चों को करियर मार्गदर्शक के पास ले जाएं
- बच्चों से मारपीट कभी न करें
- दो पीढ़ियों की तुलना करना टालें
- बच्चों को अपने करियर का निर्णय लेने की स्वतंत्रता दें