महाड। जाको राखे साइयां मार सके न कोय… यह पंक्तियां महाड की धराशाई इमारत के उस साढ़े तीन साल के बच्चे पर कारगर साबित होती हैं जिसे एनडीआरएफ ने दुर्घटना के करीब उन्नीस घंटे बाद सुरक्षित बाहर निकाला है। इस दुर्घटना में अब तक 10 लोगों की मौत हुई है। जबकि कई लोगों के अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका है।
महाड की पांच मजला इमारत में फंसे लोगों को निकालने की प्रक्रिया एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन कर रहा है।
इस बीच दुर्घटना के करीब उन्नीस घंटे बाद उस समय हलचल मच गई जब एक साढ़े तीन साल का बच्चा मलबे से सुरक्षित निकाला गया।
बच्चे की तबीयत ठीक
एनडीआरएफ की डिप्टी कमांडेंट ने बच्चे की तबीयत ठीक बताई है और कहा है कि बच्चा स्वस्थ है। बचाव कार्य में लगे एक अधिकारी ने बताया कि बच्चा एक किनारे में दुबका हुआ था। एनडीआरएफ टीम के दो लोग जब मलबा हटा रहे थे तभी किनारे पर बैठे इस बच्चे पर नजर गई। इसके बाद बच्चे को बाहर निकाला गया और मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल भेजा गया।
दस साल पुरानी थी इमारत
पुलिस ने बताया कि इमारत दस साल पुरानी थी और मलबे में अभी भी करीब 18 लोगों के फंसे होने की आशंका है। घटनास्थल पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) द्वारा खोज और बचाव अभियान जारी है। अधिकारी ने बताया कि इमारत में 45 फ्लैट थे। उन्होंने बताया कि कई लोगों को इमारत के मलबे से निकाला गया है और उन्हें महाड के स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने बताया कि सोमवार शाम 6.50 बजे के करीब रायगढ़ जिले में महाड तहसील के काजलपुरा इलाके में एक जी+4 इमारत ढह गई। एनडीआरएफ ने बताया कि इमारत के मलबे में 50 लोगों के फंसे होने की आशंका है।
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