15 जून की रात हमारे जवानों ने गलवान घाटी में ऐसे लिखी वीरता,साहस और देशभक्ति की अमर कहानी!

144

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात भारतीय और चीनी सेना के जवानों के बीच हुई हिंसक झड़प का असर दोनों देशों के बीच अब तक देखा जा रहा है। यही नहीं, उस झड़प का असर दोनों देशों के संबंधों पर भविष्य में भी लंबे समय तक पड़ेगा, इसमें कोई शक नहीं है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद तो आजादी के पहले से ही है, लेकिन उस रात की हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव काफी बढ़ गया है। उसके बाद भारत ने अपनी सरहदों की सुरक्षा के लिए जल, थल और नभ तीनों ही मार्गों को मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उसमें राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की तैनाती भी शामिल है।

लद्दाख के गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के जवानों ने अपनी सीमा की रक्षा में जिस तरह की वीरता और देशभक्ति दिखाई, वह शौर्यगाथा बनकर हमारे तीनों सेनाओं के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

बढ़ाया देश का गौरव
भारत सरकार के साथ ही देश की जनता उस झड़प में वीरगति को प्राप्त करने वाले कर्नल संतोष बाबू और अन्य जवानों की शहादत को याद कर आज भी गौरवान्वित महसूस करता है। इस वीरगाथा के हीरो वीरगति प्राप्त कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। इनके साथ ही नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन, हवलदार के. पिलानी, तेजेंद्र सिंह, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को भी गलवान घाटी में वीरता दिखाने के लिए मेडल से सम्मानित किया गया।

ये भी पढ़ेंः जानें कौन है खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू और क्या है उसका पाकिस्तानी कनेक्शन?

70 चीनी सैनिकों को कर दिया ढेर
15 जून की रात चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशशि की थी। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि चीन के भी 70 सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन ने अपने मरनेवाले सैनिकों के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी थी, लेकिन अधिकृत सूत्रों के अनुसार इस झड़प में चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और हमारे सैनिकों ने संख्या बल में काफी कम होने के बावजूद वीरता से उनका मुकाबला किया। हमारे सैनिकों ने इस संघर्ष में 70 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर अपनी प्रचंड वीरता, साहस और देशभक्ति का इतिहास लिखा।

निडरता, वीरता और देशभक्ति का रचा इतिहास
इस संघर्ष के नायक रहे भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। इस संघर्ष में वीरगती को प्राप्त होने से पहले उन्होंने अपनी वीरता और देशभक्ति का परिचय दिया तथा अपने सैनिकों के साथ मिलकर चीन के 70 सैनिकों को मौत की नींद सुला दी। ऐसे बहादुर और निडर कर्नल बी. संतोष बाबू मूलतः तेलंगाना के सूर्यपत जिले के निवासी थे। वे तनाव कम करने के लिए इससे पहले दोनों देशों के बीच हुई कई बैठकों का नेतृत्व कर चुके थे।

क्या हुआ था उस रात?
सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार झड़प की रात चीनी सेना तय कार्यक्रम के अनुसार भारतीय सैनिकों द्वारा समझाने के बावजूद पीछे नहीं हटी। इसके बाद कर्नल बी. संतोष बाबू स्वयं उनसे बात करने गए। इसी दौरान चीनी सैनिकों की ओर से हाथापाई शुरू कर दी गई। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाब दिया। फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसा शुरू हो गई। पत्थर और लाठी-डंडे चलने लगे। इस झड़प में भारत के 20 जवानों ने वीरगति प्राप्त होने से पहले निडरता और देशभक्ति का इतिहास लिख दिया तथा चीन के 70 सैनिकों को बिना किसी हथियार के मार गिराया।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर शौर्य पुरस्कार 2021
इस वर्ष का स्वातंत्र्यवीर सावरकर शौर्य पुरस्कार शौर्य पुरस्कार हुतात्मा कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू को प्रदान किया गया। इस पुरस्कार को वीर पत्नी संतोषी संतोष बाबू ने स्वीकार किया। पुरस्कार में स्वातंत्र्यवीर सावरकर की मूर्ति, सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह 1,01,101/- रुपए की पुरस्कार राशि है। अपने संबोधन में वीर पत्नी संतोषी संतोष बाबू ने 138वीं जयंती पर स्वातंत्र्यवीर के कार्यों का स्मरण किया। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर स्वातंत्र्यवीर द्वारा लिखित ग्रंथ का उल्लेख किया। इसके साथ ही कर्नल संतोष बाबू की राष्ट्र निष्ठा, अनुशासन प्रिय व्यक्तित्व का भी उल्लेख किया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.