स्वातंत्र्यवीर सावरकर का 57वां आत्मार्पण दिवस है। इस उपलक्ष्य में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन के अलग-अलग पहलुओं को रंगों के माध्यम से उकेरा है पाचोरा के कलाकार योगेंद्र पाटील। वे अपनी चित्रकला को वीर सावरकर को समर्पित कर चुके हैं।
इस फोटो में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के कारागृहकाल को दर्शाया गया है। जिसमें बंदीवान के रूप वीर सावरकर को चित्रों में बताया गया है, वहीं स्वतंत्र पंछी उन्मुक्त जीवन को दर्शा रहे हैं।
कारागृह में क्रूरतम यातनाओं को दिखाता है उपरोक्त चित्र। इसमें दिख रहा है कि कैसे कालापानी की सजा भुगत रहे स्वातंत्र्यवीर सावरकर को कोल्हू चलाकर तेल निकालना पड़ता था। हाथ-पैर में बेड़ियां लगी हुई होती थीं और पत्थरों से बने न हिलनेवाले कोल्हू से तेल निकालना अनिवार्य था।
अंग्रेजों की यातनाओं से उबरने में स्वातंंत्र्यवीर सावरकर को जागृत कुंडलिनी शक्ति ने बड़ी सहायता दी। कुंडलिनी के महत्व को स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने अपने ध्वज में भी दिखाया है।
योगेंद्र पाटील द्वारा बनाए चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन स्वातंत्र्यवीर सावरकर की पौत्री असीलता सावरकर-राजे के कर कमलों से हुआ। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे समेत कई गणमान्य उपस्थित थे।
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