द्वादश ज्योतिर्लिंगों में तीसरे क्रमांक पर महाकाल ज्योतिर्लिंग का उल्लेख आता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे महाकाल ज्योतिर्लिंग का भव्य मंदिर है। जिसका विकास करते हुए सरकार ने महाकाल लोक का निर्माण किया है। राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान इस परियोजना में विशेष लक्ष्य रखे हुए थे, जिसके प्रथम हिस्से का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से हुआ।
900 मीटर से लंबा गलियारा, महाकाल लोक भारत में निर्मित सबसे बड़ गलियारा है, जो 856 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित है। यहां के हस्तशिल्प में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के शिल्पकारों और कलाकारों ने योगदान दिया है।
108 नक्काशीदार बलुआ पत्थर लगे हैं इसके साथ ही 50 से अधिक शिवपुराण पर आधारित भित्ति चित्र लगे हैं। जो कथाओं को जीवंत कर देते हैं। यहां उपयोग किये गए पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाए गए हैं।
इस गलियारे के दो प्रवेश द्ववार हैं, जिसमें एक नंदी द्वार है, जबकि दूसरा पुनाकी द्वार है। इनसे होकर ही श्रद्धालू प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जा सकते हैं।
इसकी डिजाइन त्रिशूल शैली में है, जिसमें 108 स्तंभ हैं। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली से महाकाल गलियारों को लैस किया गया है। जिससे यहां उपस्थित प्रत्येक तीर्थ यात्री पर प्रशासन दृष्ठि रख पाएगा।
पौराणिक महाकाल नगरी के उल्लेख में महाकाल वन का उल्लेख मिलता है। जिसकी अनुभूति कराने के उद्देश्य से महाकाल लोक की संकल्पना की गई है।
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