तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म को लेकर दिए गए एक विवादास्पद बयान पर काशी के संतों में नाराजगी बढ़ रही है। रविवार को उदयनिधि स्टालिन के बयान पर आपत्ति जताते हुए काशी सुमेरू पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि स्टालिन जैसे नेता का बयान निंदनीय है। स्टालिन के दिमागी इलाज की जरूरत है। स्टालिन परिवार देश को पीढ़ियों से दीमक की तरह चाट रहा है।
सनातन धर्म की व्यापकता को नापना असंभव
शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म को विदेशी आक्रमणकारी, मुगल, अंग्रेज नहीं मिटा पाये तो स्टालिन जैसे नेता कहां मिटा पायेंगे। स्वामी नरेन्द्रानंद ने कहा कि सनातन धर्म देश की एकता, अखंडता और धार्मिक विविधताओं का संदेश सदियों से देता चला आ रहा है। सनातन ही एकमात्र धर्म है, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में ईश्वर, आत्मा और मोक्ष का ज्ञान कराता है। पूरे विश्व में सनातन धर्म अनादिकाल से चला आ रहा है। इस धर्म की व्यापकता को कोई नाप नहीं सकता, इस धर्म में भगवान ने स्वयं अवतार लेकर समय-समय पर धर्म की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि त्रेता युग में एक रावण रहा। यहां विरोधी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (आईएनडीआईए) में 28 रावण हैं। सभी के अहंकार का मान मर्दन आने वाले समय में होगा। उन्होंने कहा कि एनडीए से चुनावी जंग में विरोधी दल मर्यादा को लगातार लांघ रह है।
उदयनिधि स्टालिन के बयान की कड़ी निंदा
उदयनिधि स्टालिन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसे लोगों का भारतीय समाज में कोई स्थान नहीं हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के कुपुत्र उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म को लेकर जिस तरह से आपत्तिजनक बातें कही गई है, यह अति निंदनीय और घृणित है। अखिल भारतीय संत समिति का इतना ही कहना है कि करोड़ों वर्षों से मिटाने वाले मिटते चले गए। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म को जीवन जीने की पद्धति माना है। उन्होंने कहा कि सत्ता और सरकार के लोग अगर ऐसे लोगों को पोषित करेंगे, तो समाज में अशांति ही फैलेगी।
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उदयनिधि स्टालिन ने क्या कहाः
गौरतलब हो कि तमिलनाडु में 2 सितंबर को आयोजित “संतानम उन्मूलन सम्मेलन” में डीएमके सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है। इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए, न कि केवल इसका विरोध किया जाना चाहिए।