Rape-murder case of trainee female doctor: बंगाल में विरोध के बीच 43 डॉक्टरों का तबादला, भाजपा ने ममता पर लगाया यह आरोप

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले को लेकर को लेकर पूरे देश में भारी गुस्सा है। डॉक्टर सड़कों पर उतकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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Rape-murder case of trainee female doctor: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले को लेकर को लेकर पूरे देश में भारी गुस्सा है। डॉक्टर सड़कों पर उतकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 43 सरकारी डॉक्टरों का एक साथ तबादला कर दिया है। यह आदेश 16 अगस्त को जारी किया गया और इसमें कहा गया कि यह तबादला ‘राज्यपाल की इच्छा’ से किया गया है।

ममता की कार्यशैली पर सवाल
सूत्रों ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग ने यह कदम तब उठाया, जब आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने स्वास्थ्य विभाग में जाकर उच्च अधिकारियों से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्हीं के कहने पर विभाग ने यह कदम उठाया है, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अधीनस्थ इस विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बदले की कार्रवाई
भाजपा ने इस तबादले को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार का “प्रतिशोधात्मक कदम” बताया है। पार्टी का कहना है कि इन डॉक्टरों ने आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में आवाज उठाई थी, और इसी कारण से उनका तबादला किया गया है।

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भाजपा का आरोप
भाजपा के केंद्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शनिवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाते हुए कहा कि तृणमूल सरकार दुष्कर्मियों, हत्यारों और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुनियोजित ढंग से घुसकर तोड़ फोड़ करने वालों पर कार्रवाई करने के बदले न्याय की गुहार लगा रहे आम नागरिकों, डॉक्टरों और मीडियाकर्मियों पर कार्रवाई कर रही है। ममता सरकार ने बंगाल की बिटिया के लिए न्याय की आवाज उठाने वाले 43 डॉक्टरों का ट्रांसफर किया है और कुछ डॉक्टरों का ट्रांसफर दूर-दराज के इलाकों में भी किया गया है।

यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन ने जताया विरोध
इस तबादले के खिलाफ डॉक्टरों के संगठन ‘यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन’ ने भी विरोध जताया है। संगठन ने अपने बयान में कहा, “हमारे विरोध का समर्थन करने वाले सदस्यों का अन्यायपूर्ण तरीके से तबादला किया गया है। यह सजा देने वाला कदम न्याय और सुरक्षा के लिए हमारी मांग को नहीं दबा सकता। हम अपनी लड़ाई में एकजुट और दृढ़ हैं।”

इस मुद्दे पर स्वास्थ्य सेवा डॉक्टरों के संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ के महासचिव उत्पल बनर्जी ने कहा, “इस समय सभी डॉक्टर इस घटना के विरोध में खड़े हैं। कुछ डॉक्टरों ने अधिक सक्रियता दिखाई है। हमारे प्रमोशन रुके हुए हैं और ऐसे हालात में तबादला क्यों किया गया?”

पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने 17 अगस्त को कहा, “इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है, इसलिए मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।”

डॉक्टरों के इस तबादले को लेकर राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है।

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