सांसदों और विधायकों पर दर्ज लंबित मामलों को लेकर एमिकस क्यूरी विजय हंसरिया ने सर्वोच्च न्यायालय में ईडी और सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर एक रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें बताया गया है कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत 51 सांसदों को आरोपित बनाया है, जिनमें मौजूदा और पूर्व सांसद शामिल हैं।
51 सांसदों के अलावा 71 विधायक भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपित
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि 51 सांसदों के अलावा 71 विधायक भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपित हैं। इसमें पूर्व और वर्तमान विधायक शामिल हैं। सीबीआई की तरफ से कहा गया कि 121 सांसदों और विधायकों के खिलाफ ट्रायल लंबित हैं। एमिकस क्यूरी विजय हंसरिया ने रिपोर्ट में कोर्ट को यह निर्देश देने की मांग करते हुए कहा कि सांसदों के खिलाफ सुनवाई करने वाली अदालतों को विशेष रूप से ऐसे ही मुद्दों पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही स्थगन दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालतों को गवाहों से पूछताछ के लिए वीडियो कांफ्रेंस का इस्तेमाल करना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था निर्देश
रिपोर्ट में सीबीआई और ईडी के समक्ष लंबित मामलों की जांच की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति के गठन की भी मांग की गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों में उनकी स्थिति रिपोर्ट और अभियोजन के लिए मंजूरी देने, जांच पूरी करने के लिए अपेक्षित समय और कारणों की मांग करते हुए एमिकस क्यूरी से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है याचिका
याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सांसदों और विधायकों को दोषी पाए जाने पर उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जघन्य अपराधों में दोषी पाए जाने पर सांसदों या विधायकों को केवल छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक है।