90 करोड़ हिंदू समान नागरिक अधिकारों की भीख मांग रहे हैंः पुष्पेन्द्र कुलष्श्रेष्ठ

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भारत की बहुसंख्यक 90 करोड़ की जनता समान नागरिक अधिकारों की भीख मांग रही है और कुछ उन्मादी लोग अपने विशेष नागरिक अधिकारों का आनंद ले रहे हैं, जबकि लोकतंत्र संख्या बल का खेल होता है। आज के समय में लगता है जैसे सबसे अधिक हिन्दू बिकाऊ है, दो रुपये किलो चावल और एक रुपये किलो गेहूं, सस्ती बिजली में दिल्ली की सरकार चुन ली जाती है। सरकारों को चुनते वक्त हमारे मन में क्या रहता है? इतने सस्ते में हम सत्ता ऐसे लोगों को सौंप देते हैं, जिनके अपने निजी एजेण्डे हैं, उन्हें राष्ट्र और राज्य दोनों से कोई मतलब नहीं। याद रखो, सरकारें बदलने से राष्ट्र नहीं बदलते। आपके वर्तमान को देखकर दुनिया भविष्य में आपको याद रखेगी, यह आप पर निर्भर है कि किस प्रकार का आप इतिहास बना रहे हैं। उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने सोमवार, 20 दिसंबर की रात राजधानी भोपाल में आयोजित विचार संगोष्ठी ”विश्व पटल पर सनातन संस्कृति की शाश्वतता” पर व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि पिछले सत्तर सालों से हमें पढ़ाया जा रहा है कि बाबर, औरंगजेब ने क्या किया, क्या इससे पहले भारत नहीं था? दुनिया भर में सरकारें राष्ट्र नहीं चलातीं, वह देश चलाती हैं। हम किसी सरकार का समर्थन या विरोध नहीं करते हैं, हम तो बस इतना जानते हैं कि जब तक संस्कृति है तब तक यह देश और राष्ट्र है। देश को अखंड रखना है तो राष्ट्र को जागृत करना होगा उसके बगैर यह संभव नहीं है। सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि आनेवाले वक्त की आहट को पहचानें। उन्होंने वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013, सच्चर कमेटी, अल्पसंख्यक आयोग समेत तमाम मुददों पर विस्तार से बोला और कहा कि स्थितियां अराजकता की तरफ बढ़ रही हैं। 90 करोड़ हिन्दुओं को पता ही नहीं चल रहा है कि उनके साथ कौन सा खेल खेला जा रहा है? बहुसंख्यक होने के बाद भी हिन्दू को पता ही नहीं कि सरकारें किस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहीं हैं।

वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 का आर्टिकल 40 बेहद खतरनाक
आंध्रप्रदेश के एक जज के हवाले से उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा जमीन रेलवे के पास है। उसके बाद डिफेंस और फिर वक्फ बोर्ड के पास है। आपके इतने मठ, मंदिर हैं, बहुसंख्यक आप हो, लेकिन आपके पास इतनी जमीन नहीं। संकट तो यह है कि यह वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 इसका एक प्रावधान आर्टिकल 40 बेहद खतरनाक है। यह आर्टिकल बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वक्फ बोर्ड के दो सदस्यों को देश में अगर कहीं भी यह लगे कि कोई संपत्ति पहले वक्फ की थी तो वह उसे अपने कब्जे में ले सकता है। बीते 10 सालों में इस कानून के चलते देश में सरकारी जमीनों को कब्जाने का अभियान चल रहा है। इसके लिए उन्हें कोई साक्ष्य देने की जरूरत नहीं है। दोनों सदस्य जिला मजिस्ट्रेट या किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को 24 से 72 घंटे में उसे खाली करने का आदेश दे सकते हैं। ऐसी सूरत में पूरी मशीनरी को उस आदेश पर अमल कराना होता है। हाई कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं हो सकती।

खेला जा रहा है खेल
उन्होंने इलाहाबाद में चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क का हवाला देते हुए कहा कि कोरोनाकाल में पार्क में मस्जिद, मजार और दूसरे कई निर्माण हो गए। मामला जानकारी में आया तो हमारी टीम के एक सदस्य विष्णु शंकर जैन ने हाई कोर्ट में पिटीशन डाली। तब हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा, लताड़ लगाई गई। तब कहीं जाकर वहां से वे मजारें हटाई गईं। फिर भी वहां एक मजार बनी रह गई थी, जब उसे हटाने के लिए कोर्ट ने तारीख दी तो कम्प्यूटर में उस दिन को ही नहीं चढ़ाया गया, वह तो विष्णु शंकर जैन हैं, जो न्यायाधीश के समक्ष पहुंच गए और बोले कि आज आपने सुनवाई के लिए हमारा भी दिन तय किया है। तब कहीं जाकर पता चला कि खेल किस तरह से खेला जा रहा है और एक हम बहुसंख्यक हिन्दू हैं, समूह में यह समझ ही नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बाद से सरकारी जमीन घेरने का सिलसिला देशभर में चल रहा है।

सच्चर कमेटी संवैधानिक नहीं
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र ने 2005 में बनी सच्चर कमेटी के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कमेटी संवैधानिक नहीं है। वास्तविकता यही है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी मर्जी से मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का परीक्षण करने के लिए समिति नियुक्त करने का निर्देश जारी किया जबकि अनुच्छेद 14 और 15 के आधार पर किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त करने की शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद-340 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास निहित है, लेकिन इस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं। समिति का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद-77 के उल्लंघन है और 2006 से इसके बहाने हजारों करोड़ रुपये मुसलमानों के अपलिफ्टमेंट के नाम पर खर्च हो रहे हैं।

अल्पसंख्यक होने के क्राइटेरिया को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं
अल्पसंख्यक होने के क्राइटेरिया को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है। फिर भी इस कमेटी की सिफारिश पर देश में 5000 करोड़ का सालाना बजट हर साल मुसलमानों को दिया जाता है। इस तरह से यह भारतीय संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जो लोग टैक्स देते हैं उन्हें सरकार से यह पूछना चाहिए कि आखिर हमारे लिए और हमारे बच्चों के लिए कहां क्या सुविधाएं दे रहे हैं। उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग पर भी तार्किक रूप से सवाल उठाए तथा उसके दुरुपयोग की बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के साथ ही राज्यों में भी अल्पसंख्यक आयोग बने हैं। अल्पसंख्यकों को दोनों आयोगों से आर्थिक सहायता दी जा रही है।

कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि कुछ राज्यों में हिंदुओं की संख्या नगण्य है, इसके बाद भी मुस्लिम ही अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लक्षद्वीप में दो प्रतिशत, मेघालय में 11 प्रतिशत, नगालैंड में आठ प्रतिशत, मणिपुर में 31 प्रतिशत, अरुणाचल में 29 प्रतिशत, मिजोरम में दो प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 28 प्रतिशत और पंजाब में 38 प्रतिशत हिंदू हैं। इन राज्यों में वास्तव में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इसके बाद भी यहां मुसलमान ही अल्पसंख्यक कहलाते हैं और वे ही सारी अल्पसंख्यक से जुड़ी सुविधाएं लेते हैं। आखिर यह कहां का न्याय है और संविधान के समानता के अधिकार का पालन कहां हो रहा है।

प्लेसिस ऑफ वरशिप एक्ट है, बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था के साथ धोखा
उन्होंने गंभीरता पूर्वक एक मामला प्राचीन हिन्दू मंदिरों को लेकर भी उठाया और इशारों-इशारों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की कि वे कम से कम भोजशाला धार को तो पूरी तरह से हिन्दुओं को साधना के लिए सौंप दें। कुलश्रेष्ठ ने 1991 में बने प्लेसिस ऑफ वरशिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस कानून के चलते देशभर के 30 हजार मंदिरों से हिन्दुओं का दावा बिना अपना पक्ष रखे खारिज कर दिया गया है। भारत की संसद को इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि मेरे बाप-दादाओं के जिन मंदिरों को लुटेरों ने लूट लिया है उसे हम वापस न ले सकें। उन्होंने कहा कि रातोंरात अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी के दबाव में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बनाया।

देश के समक्ष कई आंतरिक चुनौतियां
उन्होंने देश के समक्ष आंतरिक चुनौतियों की जानकारी देने के साथ ही उसके समाधान भी बताए। साथ ही कहा कि लोकतंत्र संख्या बल का खेल होता है। सनातन संस्कृति के साथ शुरू से खिलवाड़ पिछली सरकारें करती रही हैं। यह पहली सरकार है, जो भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए आगे आई है। काशी विश्वनाथ कोरिडोर हो या अन्य देव स्थान आपको इस सरकार के काम स्पष्ट दिखाई देंगे। एक पिछला वक्त था जब इसी देश के किसी प्रधानमंत्री ने सेक्युलर देश के नाम पर मूर्ति स्थापना कार्यक्रम के लिए मना कर दिया था, लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी केदारधाम जा रहे हैं। वे गुफा में ध्यान भी कर रहे हैं, इससे समझ जाना चाहिए कि देश की 90 करोड़ हिन्दू जनता को वह क्या संदेश देना चाहते हैं। इसके बाद भी यदि भारत का हिन्दू नहीं जागता है तो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि आनेवाले वक्त की आहट को पहचानें।

भारत में सदैव से होती है त्याग की पूजा
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सरकार बहुत छोटी चीज है, देश और राष्ट्र के बीच में जो फर्क नहीं समझते, उनकी दुर्दशा होती है। सच कहने की प्रवृति डालें, समाज सुधरेगा। जब तक विचार नहीं बदला जाएगा, तब तक भारत में परिवर्तन नहीं हो पाएगा। उन्होंने अपने जागरुकता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 333 खत्म करने के प्रयासों के बारे में भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत जाति प्रधान नहीं, कर्म प्रधान देश है। यहां त्यागी की पूजा होती है, भगवान श्रीराम क्षत्रिय थे, उनकी पूजा होती है। भगवान परशुराम और रावण भी ब्राह्मण थे, दोनों के कर्म में अंतर है। एक को पूजा जाता है और एक को जलाया जाता है।

सांस्कृतिक भारत का महत्व
पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने इस दौरान राजनैतिक भारत के साथ-साथ सांस्कृतिक भारत की व्याख्या की और देश में सांस्कृतिक भारत के उन पहलुओं से परिचित कराया जिसमें तुलसी, पीपल, नदी समेत सभी तरह से पर्यावरणीय संरक्षण को महत्व दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बगैर कहा, बहुत वर्षों बाद आपने एक व्यक्ति को सत्ता में बैठाया और आप चाहते हैं कि सबकुछ एक दिन में ठीक हो जाए, सरकार को अपना काम करने के लिए समय भी दीजिए। हम अपने ही आदमी में कमियां और खामियां ढूंढने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमने उन्हें चुना है तो उन्हें काम करने का मौका भी तो दो। अगर वे गलत रास्ते पर जाएं तो उन पर दबाव भी बनाएं।

हर बार सनातन बनकर वोट दीजिए
वरिष्ठ पत्रकार कुलश्रेष्ठ ने कहा, हर बार सनातन बनकर वोट दीजिए। यह मौका पांच साल में एक बार मिलता है। सरकार सिर्फ देश चलाती है, लेकिन हम पूरा समाज राष्ट्र को संचालित करते हैं। देश से बड़ा है राष्ट्र। इसलिए एकजुट होकर सामाजिक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा देशहित में पूर्व में लिए गए निर्णयों की सराहना की। उनका कहना यही था कि सब कुछ की चाबी सरकार के पास है, ऐसा हमें नहीं मानना चाहिए। राष्ट्र क्या है यह हम सभी समझें, वह देश से बड़ा होता है। देश आखिर एक जमीन का टुकड़ा है, उस छोटे से जमीन के टुकड़े को सरकार चलाती है, यह किसी ना किसी विधान से चलती है। उसमें मैं, आप कोई हों, उन्हें उस विधान को मानना होता है। इस सबसे अलग होकर होता है राष्ट्र, उसे चलाने की जिम्मेदारी समाज की होती है, राष्ट्र चलता है मेरे और आपके विश्वास से, परम्पराओं, संस्कारों से। इसलिए हम सभी अपने राष्ट्र के स्व को पहचानें और उसके लिए कार्य करें। इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जो-जो भी करना चाहिए वह सब कुछ करें।

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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