महाराष्ट्रः बहुत कन्फ्यूजन है सरकार, सॉल्यूशन क्या है?

कोरोना ने राज्य में कहर बरपा रखा है। हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है। न केवल मरीजों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि मृत्यु दर भी बढ़ रही है। इस बीच महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार कन्फ्यूज है।

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कन्फ्यूज ही कन्फ्यूजन है, सॉल्यूशन का पता नहीं। अभिनेता आमिर खान की थ्री इडियट्स फिल्म का यह गाना फिल्म जितना ही हिट हो गया था। आप सोच रहे होंगे कि इस गाने का वर्तमान के कोरोना संकट के दौरान क्यों जिक्र किया जा रहा है? दरअस्ल इसके पीछे एक कारण है। कोरोना ने राज्य में कहर बरपा रखा है। हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है। न केवल मरीजों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि मृत्यु दर भी बढ़ रही है। इस बीच महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार कन्फ्यूज है।

लॉकडाउन को लेकर कन्फ्यूजन
कोरोना को रोकने के लिए महाराष्ट्र में लॉकडाउन लागू है, लेकिन आम जन इसे लेकर भ्रम की स्थिति में हैं। जनता समझ सकती है कि तीन-पक्षीय सरकार होने के कारण ऐसा हो सकता है। लॉकडाउन को लेकर तीनों पार्टियों के नेता अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। इसलिए यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह सरकार भ्रमित है? ऐसे समय में जब राज्य में कोरोना के मरीज बढ़ रहे थे और मुख्यमंत्री लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रहे थे, मीडिया में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा लॉकडाउन का विरोध करने की खबरें आईं थीं। कुछ चैनलों में यह बताया गया कि शरद पवार खुद लॉकडाउन के विरोध में थे। यही कारण था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पहले वीकेंड में लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की। हालांकि, राज्य में कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के कारण, मुख्यमंत्री ने बाद में सख्त प्रतिबंध लगाए। इसके बाद, सभी मंत्रियों को अचानक लगा कि लॉकडाउन एकमात्र विकल्प बचा है। तब उन्होंने कहा कि लॉकडाउन पर निर्णय मुख्यमंत्री को कैबिनेट की बैठक में लेना होगा। यही नहीं, कुछ मंत्रियों ने मीडिया में सामने आकर प्रतिक्रिया दी कि राज्य में सख्त तालाबंदी होगी और मुख्यमंत्री इसकी घोषणा करेंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री ने घोषणा किए बिना ही मुख्य सचिव को नए नियम भेज दिए और राज्य में लॉकडाउन के साथ सख्त प्रतिबंध लागू कर दिया। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि छोटी-छोटी बातों पर फेसबुक पर आने वाले मुख्यमंत्री यह कहने के लिए फेस बुक पर नहीं आना चाहते थे कि वह इतना कठोर निर्णय ले रहे हैं।

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रेमडेसवीर पर कन्फ्यूजन
राज्य सरकार को कन्फ्यूजन होने का एक और उदाहरण रेमडेसवीर के मामले में दिया जा सकता है। इस इंजेक्शन की कमी को लेकर राज्य से राज्य की लड़ाई हुई। लड़ाई का एक भाग विले पार्ले पुलिस स्टेशन में देखने को मिला। ब्रुक फार्मा के निदेशक राजेश डोकानिया को विलेपार्ले पुलिस ने गिरफ्तार किया था, सूचना के बाद पाया गया था कि ब्रुक फार्मा के पास रेमडेसवीर का स्टॉक है। इसे लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर और भाजपा विधायक प्रसाद लाड थाने पहुंचे। उन्होंने इस बारे में पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल-जवाब किए। इस दरम्यान बातचीत के बाद भाजपा नेता और पुलिस अधिकारी पुलिस उपायुक्त कार्यालय बीकेसी पहुंचे। फडणवीस 20 घंटे तक थाने में बैठे रहे। लेकिन अगले दिन विवाद भड़क गया और सत्ताधारी दल ने उल्टा भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया। अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक, गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र अह्वाड और कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एक के बाद एक आरोप लगाए। लेकिन उसी समय, असली ट्विस्ट एक चैनल को खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार के कारण आया। राजेंद्र शिंगणे के बयान के बाद ठाकरे सरकार की परेशानी बढ़ने लगी। शिंगणे ने कहा कि भाजपा राज्य सरकार को रेमडेसवीर का स्टॉक उपलब्ध कराएगी। मुझे इसका अंदाजा था। उन्होंने बताया कि ब्रुक फार्मा और भाजपा नेताओं की मेरे घर पर एक बैठक हुई थी। खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने कहा, ” राजेश डोकानिया ने महाराष्ट्र सरकार को रेमेडेसवीर के स्टॉक उपलब्ध कराने की पेशकश की थी और मैं इसके लिए सहमत था।” उसके बाद, यह सवाल उठने लगा कि सच कौन है, अगर सरकार और विपक्ष झूठ बोल रहे हैं, तो शिंगणे के बयान के बारे में क्या कहा जाना चाहिए? हालांकि, शिंगणे के बयान के बाद, विपक्ष, जो बैकफुट पर चला गया था, फिर से ताल ठोककर मैदान में आ गया और नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर और प्रसाद लाड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की तथा सरकार पर निशाना साधा। हालांकि, जैसे ही यह मामला उनके संज्ञान में आया, शिंगणे ने पलटवार किया।

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बलि का बकरा बन गए ‘अभिमन्यु’
एक ओर खाद्य और औषधि प्रशासन आयुक्त अभिमन्यु काले का अचानक स्थानांतरण कर दिया गया ताकि ठाकरे सरकार में कई मुद्दों पर भ्रम की स्थिति में रेमडेसवीर का मामला तूल न पकड़े। उनकी जगह परिमल सिंह को एफडीए आयुक्त बनाया गया। हालांकि, कांग्रेस उनके अचानक स्थानांतरण से नाखुश है और मंत्रियों का कहना है कि यह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दबाव के कारण किया गया। कुल मिलाकर यह सरकार जनता के भले का काम करने की बजाय झूठ को सच और सच को झूठ ठहराने की कोशिस में लगी हुई है।

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