चुनाव में मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं के बचाव में आम आदमी पार्टी (आप) सर्वोच्च न्यायालय पहुंची है। आप ने मांग की है कि इस मामले में उसे भी पक्षकार बनाया जाए। आप ने ऐसी घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है। आप ने इस मामले में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को भाजपा का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर सवाल उठाए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को दिया ये निर्देश
इससे पहले अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अगस्त को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह रिजर्व बैंक, नीति आयोग समेत अन्य संस्थानों और विपक्षी दलों के साथ विचार कर रिपोर्ट तैयार करे और उसे कोर्ट के समक्ष रखे। अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग की है। इस मामले में 11 अगस्त सुनवाई होगी।
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अश्विनी उपाध्याय की याचिका में है क्या?
याचिका में कहा गया है कि आजकल यह राजनीतिक फैशन बन गया है। दल अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करते हैं। ऐसी घोषणा तब भी की जाती है, जब सरकार लोगों को 16 घंटे की बिजली भी देने में सक्षम नहीं होती। ऐसी घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि सुधार से कोई लेना-देना नहीं होता है। ये घोषणाएं मतदाताओं को लुभाने के लिए की जाती हैं।