AAP-Congress Politics: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुश्किल में आम आदमी पार्टी, केजरीवाल की जिद से होगा नुकसान!

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने 'हिंदुस्थान पोस्ट 'से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के जेल में होने से दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है। दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव नहीं हो सका है।

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लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) में दिल्ली (Delhi) में हार और पंजाब (Punjab) में 3 सीटों पर सिमट जाने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) में संकट गहराता जा रहा है। केंद्र में इंडी गठबंधन (India Alliance) कि सरकार नहीं बनने और अदालत से केजरीवाल (Kejriwal) और उनके सहयोगियों को लगातार मिल रहे झटकों से आम आदमी पार्टी में संकट उत्पन्न हो रहा है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Lieutenant Governor VK Saxena) स्पष्ट कर चुके हैं कि वह जेल से दिल्ली सरकार (Delhi Government) नहीं चलने देंगे। दिल्ली में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर वह सख्त कदम उठाने के भी संकेत दे चुके हैं।

ईडी ने 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद भी उन्होंने पद नहीं छोड़ा। आम आदमी पार्टी ने घोषणा की कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे। भाजपा लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने ‘हिंदुस्थान पोस्ट ‘से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के जेल में होने से दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है। दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव नहीं हो सका है।

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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल को यह उम्मीद रही होगी कि केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनेगी तो उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में राहत मिल जाएगी। परंतु ऐसा नहीं हुआ अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से भी इंकार कर दिया। इस कारण आने वाले दिनों में उनकी सरकार को परेशानी पड़ेगी। आम आदमी पार्टी की सरकार को बचाने के लिए उन्हें त्यागपत्र देकर किसी दूसरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपनी होगी।

केजरीवाल के सामने विकल्प?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने दो विकल्प है या तो वह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को अपना उत्तराधिकारी बना दे। या फिर अपने किसी आप पार्टी के विधायक को। भाजपा यह आरोप लगाते रही है कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं इसके लिए वह पार्टी में सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं और इसको लेकर आम आदमी पार्टी में असंतोष भी है केजरीवाल के जेल जाने के बाद से सुनीता केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हुई है। 31 मार्च को इंडी गठबंधन की रामलीला मैदान में हुई रैली में सुनीता केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। अपने पति की अनुपस्थिति में सुनीता केजरीवाल लोकसभा चुनाव प्रचार की कमान भी संभाल रही थी। वो अब आम आदमी पार्टी विधायकों की बैठक भी ले रही है।

आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप पड़े भारी, नहीं चला भावनाओं का खेल
आम आदमी पार्टी के गठन के एक दशक बाद ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में लोकसभा चुनाव तीसरी बार भी निराशाजनक रहा है। अपने सिद्धांतों को दरकिनार करते हुए आम आदमी पार्टी इंडी गठबंधन में शामिल हुई। आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी कि कांग्रेस के साथ मिलने से उसकी जीत होगी। लेकिन दिल्ली लोकसभा चुनाव में उसके चारों प्रत्याशी हार गए।

मुख्यमंत्री आवास के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च करने और आबकारी घोटाले में स्वयं जेल में जाने पर खेले गए ‘जेल का जवाब वोट’ से जैसे भावनात्मक कार्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप भारी पड़े। दिल्ली की 70 में से 61 सीटों पर विधायक होने के बावजूद यह विधायक पार्टी को लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने में कामयाब नहीं हो सके, जबकि आम आदमी पार्टी ने तीन विधायकों और एक विधायक के पिता को टिकट दिया था। दिल्ली सरकार के प्रति सत्ता विरोधी लहर से भी पार्टी को नुकसान पहुंचा। आप पार्टी का संगठनात्मक ढांचा भी कई वार्डों के स्तर पर बेहद कमजोर हो गया है। इस चुनाव में दिल्ली के पटेल नगर से लेकर लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र में आप पार्टी के संगठन को भंग तक करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में आप पार्टी के वार्ड स्तर से लेकर लोकसभा और प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। आम आदमी पार्टी के मंत्री और पूर्व विधायकों ने बागी होकर आप पार्टी के सामने ही चुनौती खड़ी की। आप पार्टी के लक्ष्मी नगर से पूर्व विधायक नितिन त्यागी खुले तौर पर आप पार्टी के प्रचार अभियान का विरोध करते हुए नजर आए। पटेल नगर से विधायक और आप सरकार में मंत्री होते हुए राजकुमार आनंद ने न केवल इस्तीफा देकर बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ा बल्कि पार्टी पर अनुसूचित जाति के लोगों के विरुद्ध काम करने के भी आरोप लगाते रहे रही सही कसर आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मुख्यमंत्री आवास में हुई मारपीट और उसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार के गिरफ्तार होने से पूरी कर दी।

लोकसभा चुनाव नतीजों ने बदल दी दिल्ली की राजनीति
दिल्ली में भाजपा ने लगभग 54 फीसदी से अधिक वोट लेकर फिर साबित कर दिया है कि राजधानी दिल्ली में उसका मजबूत जनाधार है। क्योंकि आप और कांग्रेस इस समय आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं। वही इन दोनों पार्टियों के गठबंधन करने से भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। अगले 6 महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव पर इस बदले हुए राजनीतिक वातावरण का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। आप पार्टी के सामने दिल्ली में सत्ता बचाने की चुनौती बढ़ गई है।

पंजाब में आप का मिशन 13 हुआ फेल
पंजाब में आम आदमी पार्टी का मिशन 13 फेल हो गया है। वहीं, गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस ने 7 सीटे जीतकर दम दिखाया है। पंजाब के बाहर भी आप पार्टी के स्टार प्रचारक रहे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को उम्मीद थी कि राज्य में 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने का उनका वादा वोट में बदल जाएगा। परंतु ऐसा नहीं हुआ आप पार्टी महज तीन सीटें जीत पाई। आप पार्टी ने अपने 5 मंत्रियों और 4 विधायकों को मैदान में उतारा था। उनमें केवल एक मंत्री और एक विधायक की चुनाव जीत पाया। पंजाब के तीन क्षेत्रों माझा, दोआबा और मालवा के नतीजे को देखें तो माझा में कांग्रेस ने दो सीटे जीती एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली। दोआबा क्षेत्र में कांग्रेस एक सीट पर जीती और आम आदमी पार्टी दो पर विजय मिली जबकि मालवा क्षेत्र में कुल 7 लोकसभा सीटे हैं। जिसमें आप पार्टी को एक सीट मिली, कांग्रेस ने 4 सीटे जीती है। शिरोमणि अकाली दल और निर्दलीय ने एक-एक सीट जीती है। पंजाब में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को कमजोर करने के लिए अपनी रणनीति तेज कर दी है। (AAP-Congress Politics)

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