महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में सोमवार को नगराध्यक्ष-सरपंच का चुनाव सीधे जनता से कराए जाने संबंधी विधेयक मंजूरी दी गई। हालांकि नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने इसे लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि नगराध्यक्ष और सरपंच का चुनाव सीधे जनता से किया जाएगा, ऐसे में मुख्यमंत्री का चुनाव भी जनता से कराया जाए।
अजीत पवार ने कहा कि यह निर्णय लोकतंत्र के लिए घातक है। इससे निकाय संस्थाओं में धन-बल का वर्चस्व कायम हो सकता है। आम जनता को न्याय नहीं मिलेगा। राकांपा नेता जयंत पाटील ने कहा कि नगराध्यक्ष का चयन सीधे जनता से कराने का प्रयोग पहले भी हो चुका है। उसके राज्य के कई हिस्सों में बेहद गलत परिणाम देखे गए थे, इसलिए पिछली महाविकास आघाड़ी सरकार में तत्कालीन नगर विकास मंत्री ने इस फैसले को गलत ठहराया था। अब उनका मन क्यों बदल गया? नगराध्यक्ष किसी अन्य दल का और सदस्यों की बहु संख्या दूसरी पार्टी की, इससे फैसले लेने में दिक्कत होती है। उम्मीद है तत्कालीन नगर विकास मंत्री व मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस निर्णय पर अवश्य पुनर्विचार करेंगे।
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मुंडे ने फडणवीस पर कसा तंज
राकांपा विधायक धनंजय मुंडे ने फडणवीस की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतने सदस्य होने के बावजूद आपको उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठना पड़ रहा है। आपके दिल में क्या दुख है? भले ही लोग न समझते हों, लेकिन मैं समझता हूं। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन करके आखिर भाजपा ने क्या हासिल किया है? मैं यह नहीं जानता। इससे पहले वे कम से कम नेता प्रतिपक्ष के संवैधानिक पद पर तो थे। अब वे उपमुख्यमंत्री के पद पर हैं, लेकिन यह पद संवैधानिक नहीं है। धनंजय मुंडे ने उपमुख्यमंत्री पद को असंवैधानिक बताते हुए बगल में बैठे पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सॉरी दादा कहते हुए आगे कहा कि 120 सदस्य होने के बावजूद, आपको(भाजपा) विपक्ष में बैठना पड़ा।