महाराष्ट्र सरकार में सीएम के प्रधान सचिव बनाए गए अजोय मेहता को अब दूसरे विभाग में स्थानांतरण चाहिए। इस विषय में हलचल भी शुरू है लेकिन महाविकास आघाड़ी के घटक दलों में इसे लेकर मनभेद उभर गया है। दूसरी तरफ ये प्रश्न उठने लगा है कि जिस सीएम ने सेवा विस्तार देकर अपना प्रधान सचिव बनाया उससे मेहता की क्या कट्टी हो गई है?
इस खबर को मराठी में पढ़ें – मेहतांचा नवीन जुगाड, राष्ट्रवादी आणि काँग्रेसचा विरोध
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रधान सचिव अजोय मेहता एक बार फिर चर्चा में हैं। इसका कारण है मेहता द्वारा की जा रही लॉबिंग। सूत्रों के हवाले से खबर है कि अजोय मेहता को अब महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्यूलेटरी कमीशन (एमईआरसी), महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) का अध्यक्ष पद चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रयत्न भी शुरू कर दिये हैं। लेकिन सबसे बड़े अचंभे की बात ये है कि अजोय मेहता का कार्यकाल सितंबर 2019 में ही खत्म हो गया था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसके बावजूद मेहता को बढ़े हुए नौ महीने के कार्यकाल में अपना प्रधान सचिव नियुक्त किया। इसीलिए ये सवाल उठने लगा है कि जब सीएम को प्रधान सचिव के रूप में वे कुबूल है तो मेहता का इधर-उधर क्यों?
ये भी पढ़ें – ‘वो’ अर्जुन मैं नहीं हूं!
एनसीपी-कांग्रेस भी नाखुशी नई नहीं…
अजोय मेहता को लेकर शिवसेना की हमसफर एनसीपी और कांग्रेस भी नाखुश हैं। कैबिनेट में अजोय मेहता के मुद्दे पर अचानक चर्चा करने के निर्णय को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने तो यह तक कह दिया था कि ये गलत सिलसिला शुरू हो रहा है। जबकि एनसीपी के जयंत पाटील ने कहा कि मंत्रियों से चर्चा किये बगैर ये मुद्दा कैबिनेट बैठक की चर्चा में कैसे आया। इसके अलावा भी नाराजगी की कई घटनाएं हैं। मेहता के सचिव पद पर रहते हुए एनसीपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकारी निर्णय सचिवस्तर पर ही लिये जा रहे हैं।
Join Our WhatsApp Community