आगामी लोकसभा चुनाव( 2024) की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। इसके लिए सभी पार्टियां मोर्चेबंदी में जुट गई हैं। सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए दोबारा सत्ता स्थापित करेगी या फिर नवगठित आई.एन.डी. आई. ए. अलायंस को मौका मिलेगा। इस बीच इंडिया टुडे और सी वोटर का मूड ऑफ द नेशन सर्वे जारी हुआ है, जिसके अनुसार अगर अभी चुनाव हुए तो एनडीए सरकार सत्ता में आएगी। हालांकि, अनुमान है कि इस बार एनडीए को पिछली बार से कम सीटें मिलेंगी। इस बीच सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि कुछ राष्ट्रीय नेताओं को लोगों ने नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखना शुरू कर दिया है।
सर्वे से पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे उपयुक्त नेता हैं। 29 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराधिकारी के लिए सबसे उपयुक्त हैं, उनके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हैं। 26 प्रतिशत लोगों ने योगी आदित्यनाथ का समर्थन किया जबकि 15 प्रतिशत लोगों ने नितिन गडकरी के पक्ष में वोट किया।
63 प्रतिशत लोग नरेंद्र मोदी के कामकाज से संतुष्ट
सर्वे से यह भी पता चला है कि 63 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। हालांकि जनवरी के सर्वे में यही प्रतिशत 72 प्रतिशत था।
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एनडीए को मिलेगा बहुमत, लेकिन घटेंगी सीटें
जनवरी 2023 में इंडिया टुडे द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार, एनडीए को 298 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन, मौजूदा सर्वे के मुताबिक एनडीए 306 सीटें जीत सकती है, लेकिन, 2019 में एनडीए ने 357 सीटों पर जीत हासिल की थी। यानी इस सर्वे के मुताबिक अगर बीजेपी सत्ता स्थापित करने में सफल भी हो जाती है तो उसकी कुल सीटों की संख्या कम हो जाएगी। वहीं नवगठित विपक्षी अलायंस को 193 सीटें मिलने का अनुमान है। जनवरी के सर्वेक्षण के अनुसार, विपक्ष को 153 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया था।
किसे मिलेगा कितना प्रतिशत वोट?
अगर आज आम चुनाव होते हैं तो एनडीए को 43 प्रतिशत और विपक्ष के महागठबंधन को को 41 प्रतिशत वोट मिलेंगे।
कैसे हुआ सर्वे?
15 जुलाई से 14 अगस्त के बीच किए गए इस सर्वे के लिए सभी राज्यों में 25 हजार 951 लोगों से बातचीत की गई। साथ ही नियमित ट्रैकर डेटा के अलावा 1 लाख 34 हजार 487 मतदाताओं से बातचीत कर यह रिपोर्ट तैयार की गई।