Amit Shah In Loksabha: गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने 10 फरवरी (शनिवार) को लोकसभा (Loksabha) में कहा कि राम मंदिर (Ram Mandir) दुनिया का एक मात्र ऐसा आंदोलन है जहां बहुसंख्यकों ने धैर्य रखते हुए संवैधानिक प्रावधानों (constitutional provisions) के तहत अपना संघर्ष पूरा किया। उन्होंने कहा कि संघर्ष चला तो देश में जय श्रीराम के नारे लगे और जब मंदिर बन गया तो जय सीयाराम के नारे लगे। राम मंदिर पर चली संघर्ष से भक्ति यह यात्रा देश को आगे ले जाने वाली है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने न्यायसंगत तरीके से राम मंदिर निर्माण का कार्य पूर्ण कर अपना वादा निभाया है।
मोदी सरकार (Modi government) जो कहती है उसे करके दिखाती है। 22 जनवरी का दिन करोड़ों भक्तों की आशा, आकांक्षा और सिद्धि का दिन बन गया। शाह ने शनिवार को लोकसभा में राम मंदिर निर्माण पर आयोजित चर्चा के दौरान कहा कि राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ होकर कोई भी इस देश के इतिहास को पढ़ ही नहीं सकता। वर्ष 1528 से हर पीढ़ी ने इस आंदोलन को किसी न किसी रूप में देखा है। ये मामला लंबे समय तक अटका रहा, भटका रहा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के समय में ही इस स्वप्न को सिद्ध होना था और आज देश ये सिद्ध होता देख रहा है।
ऐतिहासिक श्री राम मंदिर के निर्माण और श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा पर लोकसभा से लाइव…
https://t.co/yiVirHwEYI— Amit Shah (@AmitShah) February 10, 2024
देश की चेतना का पुनर्जागरण
शाह ने कहा कि वर्ष 1990 में जब ये आंदोलन ने गति पकड़ी उससे पहले से ही ये भाजपा का देश के लोगों से वादा था। हमने पालमपुर कार्यकारिणी में प्रस्ताव पारित करके कहा था कि राम मंदिर निर्माण को धर्म के साथ नहीं जोड़ना चाहिए, ये देश की चेतना के पुनर्जागरण का आंदोलन है। इसलिए हम राम जन्मभूमि को कानूनी रूप से मुक्त कराकर वहां पर राम मंदिर की स्थापना करेंगे। अनेक राजाओं, संतों, निहंगों, अलग-अलग संगठनों और कानून विशेषज्ञों ने इस लड़ाई में योगदान दिया है। शाह ने कहा कि वह आज 1528 से 22 जनवरी, 2024 तक इस लड़ाई में भाग लेने वाले सभी योद्धाओं को विनम्रता के साथ स्मरण करते हुए उन्हें नमन करते हैं।
PM Modi: सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी दलित, ओबीसी और आदिवासी हैं: पीएम मोदी
देश की कल्पना राम के बिना असंभव
शाह ने कहा कि भारत की संस्कृति और रामायण को अलग करके देखा ही नहीं जा सकता। कई भाषाओं, कई प्रदेशों और कई प्रकार के धर्मों में भी रामायण का जिक्र, रामायण का अनुवाद और रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है। जो राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते हैं। राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती। राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस का प्राण है।