अरुणाचल प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के छह विधायकों को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद बिहार में राजनीति गरमा गई है। 27 दिसंबर को नीतीश कुमार द्वारा आरसीपी सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने बीजेपी पर आक्रामक रुख अपनाते हुए अपने सांसदों की संख्या के अनुसार केंद्र में जेडयू के नेताओं को मंत्री बनाए जाने की मांग छेड़ दी है। इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए के दबाव में मुख्यमंत्री बनने की बात कहकर बीजेपी के दबाव में न आने के संकेत दिए हैं। साथ ही उन्होंने पार्टी के बाहर के प्रदेशों में विस्तार करने की भी घोषणा की है। जेडीयू के इस रुख से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
केंद्र में मांगी हिस्सेदारी
केसी त्यागी ने पटना में संपन्न हुई पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि केंद्र में संख्या बल के हिसाब से पार्टी को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में अपने छह विधायकों को बीजेपी में शामिल किए जाने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन धर्म नहीं है। अट बिहारी के अटल धर्म का पालन सभी घटक दलों को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की घटना से हम आहत हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में गठबंधन को लेकर कोई विवाद नहीं है।
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मुझे पद का मोह नहींः नीतीश कुमार
इस बैठक में नीतीश कुमार ने कहा, ‘मुझे सीएम नहीं रहना है। एनडीए जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना दे। बीजेपी का ही हो सीएम। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे किसी पद का मोह नहीं है।’ नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद मैंने अपनी इच्छा से एनडीए को अवगत करा दिया था। लेकिन उनके दबाव में मुझे यह पद स्वीकार करना पड़ा।
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पार्टी के विस्तार की घोषणा
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने कभी कोई समझौता नहीं किया और हम काम में विश्वास रखने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि काम की व्यसतता की वजह से मैं संगठन पर ध्यान नहीं दे पाता था। इसलिए मैंने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा जताई थी। पार्टी के नेता चाहते हैं कि जेडीयू का अन्य प्रदेशों में भी विस्तार हो। वे अब काम करेंगे। मैं उनके साथ हूं। मैंने पद छोड़ा है, पार्टी नहीं छोड़ी है।
जेडीयू बढ़ा सकती है बीजेपी की मुश्किलें
- केंद्र में संख्या बल के आधार पर जहां प्रतिनिधित्व दिए जाने को लेकर दबाव बढ़ा सकती है।
- 2021 में पश्चिम बंगाल समेत तमिलनाडु और अन्य प्रदेशों में होनेनाले विधानसभा चुनावों में अपने विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत उम्मीदवार उतारकर बीजेपी को मुश्किल में डाल सकती है।