सर्वोच्च न्यायालय से भी देशमुख और नवाब को नकार

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महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में महाविकास आघाड़ी के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की याचिका को ठुकरा दी है। ये दोनों ही विधायक अब विधान परिषद चुनावों में मतदान नहीं कर पाएंगे। राज्य विधान परिषद की दस सीटों के लिए सोमवार को मतदान हो रहा है।

महाविकास आघाडी को बड़ा झटका सर्वोच्च न्यायालय से मिला है। जिसमें एनसीपी विधायक और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक, पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की मतदान की अनुमति से संबंधित याचिका को ठुकरा दिया है। इसके पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस याचिका को ठुकराया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय में दोनों नेताओं ने चुनौती दी और सर्वोच्च न्यायालय से मतदान देने के लिए अल्पकाल के लिए छोड़ने की अनुमति मांगी थी।

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सर्वोच्च न्यायालय का ये है आदेश
सर्वोच्च न्यायालय की अवकाश कालीन बेंच के समक्ष मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने याचिका दायर की थी। इस स्पेशल लीव पेटिशन की सुनवाई न्यायाधीश सी.टी रविकुमार औ सुधांशु धुलिया कर रहे थे। दोनों न्यायाधीशों की खंडपीठ ने दोनों नेताओं को मतदान करने के लिए अल्पकाल के लिए कारागृह से छोड़े जाने की अनुमति देने से मना कर दिया है।

इन दोनों नेताओं के लिए राहत की बात यह है कि, न्यायालय ने दोनों नेताओं की वह याचिका स्वीकार कर ली है, जिसमें सेक्शन 62(5) रिप्रेजेन्टेशन ऑफ प्यूपल ऐक्ट 1951 की पुनर्व्याख्या की मांग की गई है। इस सेक्शन के अंतर्गत कारागृह में बंद लोगों को मतदान से वंचित रखने का आधिकार है।

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