संसद के शीतकालीन सत्र की तारीख आखिरकार 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक तय कर दी गई है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले डेढ़ साल से संसदीय सत्र निर्धारित समय पर नहीं हो सका। पिछले साल का शीतकालीन सत्र कोरोनो संकट के कारण नहीं चलाया जा सका था। बाद के बजट और मानसून सत्र भी अल्पकालिक रहे थे। फिलहाल देश में कोरोना से राहत मिल रही है। इसे देखते हुए संसदीय कार्य सलाहकार समिति ने शीतकालीन सत्र के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है।
संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। कहा गया है कि इस दौरान 20 दिन का प्रत्यक्ष कामकाज किया जाएगा। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक साथ सत्र चलाया जाएगा।
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विपक्ष का आक्रामक रहना निश्चित
इससे पहले मानसून सत्र पेगासस जासूसी कांड से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। विपक्ष ने मानसून सत्र में किसान कानून का मुद्दा भी उठाया था। पिछले कुछ महीनों के विभिन्न घटनाक्रमों को देखते हुए कहा जा सकता है कि संसद का शीतकालीन सत्र तूफानी होगा। फिलहाल किसान आंदोलन, महंगाई और कश्मीर में आतंकवाद जैसे कई मुद्दे हैं, जिन पर विपक्ष के हमलावर रहने की संभावना है।