Assembly elections: महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में तृतीय पंथी मतदाताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम ने राज्य में विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में मतदाताओं के आंकड़े दिये हैं। इससे पता चला कि 2019 की तुलना में तृतीय पंथी मतदाताओं की संख्या दोगुनी हो गई है। तृतीय पंथी मतदाताओं की संख्या 2019 में 2,593 से बढ़कर 6,031 हो गई है।
वंचित समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयास
इस बारे में पूछे जाने पर चोकलिंगम ने कहा कि इस बार चुनाव कार्यालय ने तृतीय पंथी मतदाताओं को पंजीकृत करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था, इसलिए इस आंकड़े में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने वंचित वर्गों तक पहुंचने और उन्हें मतदाताओं के रूप में पंजीकृत करने के लिए विशेष प्रयास किए गए। इसमें मुख्य रूप से तीन तरह के मतदाता शामिल हैं, तृतीय पंथी, वेश्याओं के रूप में काम करने वाली महिलाएं और समलैंगिक।”
सौ के पार 47,716 मतदाता
इस बीच अद्यतन मतदाता सूची में 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 12.43 लाख है। इनमें से इच्छुक मतदाता डाक मतपत्र के माध्यम से घर बैठे मतदान की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। निर्वाचन अधिकारी चोकलिंगम ने बताया कि मतदाता सूची में शामिल 85 वर्ष के वरिष्ठ नागरिकों में से 47,716 मतदाता 100 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
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दिव्यांग मतदाताओं के लिए ‘होम-वोटिंग’ सुविधा
महाराष्ट्र चुनाव आयुक्त ने बताया कि इसके अलावा दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 6.36 लाख, सैन्य मतदाताओं की संख्या 1.16 लाख और 18-19 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या लगभग 21 लाख है। दिव्यांग मतदाताओं में 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग मतदाता ‘होम-वोटिंग’ की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं यानी जहां चुनाव कर्मचारी उनके वोट लेने के लिए उनके घर जाएंगे, वहीं वरिष्ठ नागरिक स्व-घोषणा पत्र जमा करके इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।