B-20 Summit: हर फैसले से पहले धरती पर असर का विचार करें – मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कार्बन क्रेडिट सुना है लेकिन भारत ने ग्रीन क्रेडिट (green credit) का फार्मूला अपनाया है। इसमें पर्यावरण के आधार पर बिजनेस का मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि इसे वैश्विक अभियान बनाया जाना चाहिए।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को बी-20 समिट (B-20 Summit) में भाग ले रहे देश-विदेश के प्रतिनिधियों से सबके लिए लाभप्रद व्यवस्था तैयार करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने कहा कि हमें हर फैसले से पहले यह विचार करना चाहिए कि इसका धरती पर क्या असर होगा।

प्रधानमंत्री ने जी-20 (G-20) से जुड़े देशों के बिजनेस लीडर्स (business leaders) के शिखर सम्मेलन (Summit) बी-20 को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पृथ्वी के स्वास्थ्य से जुड़े विचारों को आपस में जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गए हैं। वह भोजन करते समय इस बात का ध्यान रखते हैं कि इसका उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह बिजनेस और समाज को भी ग्रह के स्वास्थ्य को देखते हुए फैसले लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट’ (lifestyle for environment) मिशन ‘लाइफ’ के पीछे यही भावना है।

आपसी विश्वास पर हो निवेश
उन्होंने कहा कि एक भरोसेमंद सप्लाई चैन को निरंतर बनाए रखने में भारत एक भरोसेमंद सहयोगी बनने के लिए तैयार है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान सप्लाई टूट जाने का सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें हुआ जिसे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। कोरोना महामारी (corona pandemic) ने हमें यह बताया है कि हमें आपसी विश्वास पर सबसे अधिक निवेश करना चाहिए। कोरोना महामारी में भारत ने इसी आपसी विश्वास को दुनिया तक पहुंचाया। भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां पहुंचाईं।

वैश्विक अभियान बने ग्रीन क्रेडिट
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कार्बन क्रेडिट सुना है लेकिन भारत ने ग्रीन क्रेडिट (green credit) का फार्मूला अपनाया है। इसमें पर्यावरण के आधार पर बिजनेस का मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि इसे वैश्विक अभियान बनाया जाना चाहिए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने दुर्लभ धातुओं की असमानता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत सभी को है लेकिन कुछ ही देशों के पास इसके संसाधन हैं। ऐसा ना हो कि यह असमानता आने वाले समय में नए उपनिवेशवाद (new colonialism) को जन्म दे।

बराबर की भागीदारी से होगी प्रगति
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक लाभप्रद बाजार भी तभी तक अपने आप को बनाए रख सकता है जब तक की उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के हितों को सुरक्षित रखा जाए। उन्होंने कहा कि सबको बराबर का भागीदार बनने में ही आगे प्रगति होगी। उन्होंने कहा कि हमें दूसरे देशों को केवल एक बाजार नहीं समझना चाहिए। यह बात उन देशों को भी जल्द समझ में आ जाएगी जो खुद को केवल निर्माता के तौर पर देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ‘कंज्यूमर डे केयर’ (Consumer Day Care) मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर हम उपभोक्ता (consumer) की देखभाल करेंगे तो उसके जुड़े अधिकारों के मुद्दे का खुद ही समाधान हो जाएगा।

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