Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, विपक्षी नेताओं का आश्चर्यजनक व्यवहार!

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अंकित तिवारी

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश (Bangladesh) में व्यापक हिंसा के बीच शेख हसीना (Sheikh Hasina) को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा (resignation from the post of Prime Minister) देना पड़ा। इस तख्तापलट के बाद सेना द्वारा अंतरिम सरकार की स्थापना की गई, जिसके पहले चरण का समापन 10 अगस्त (शनिवार) को देश के मुख्य न्यायाधीश और राज्यपाल के जबरन इस्तीफे के साथ हुआ।

हालांकि, इस अशांत अवधि के दौरान, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में से लगभग 8 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदुओं ने ऐतिहासिक रूप से विपक्षी गुट के बजाय शेख हसीना की मुख्य रूप से धर्मनिरपेक्ष अवामी लीग पार्टी का समर्थन किया है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, बांग्लादेश में कम से कम दो हिंदू संगठनों और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को 52 जिलों में लगभग 205 हमलों का सामना करना पड़ा है।

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भयभीत हैं हिंदू
इससे पहले 9 अगस्त को बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के समक्ष ऐसे हमलों के आंकड़े पेश किए, जिन्होंने हाल ही में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है। एकता परिषद के तीन अध्यक्षों में से एक निर्मल रोसारियो ने कहा, “हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में इस तरह के भय और असुरक्षा का माहौल कभी नहीं देखा। हम मांग करते हैं किळ अंतरिम सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे।”

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शेख हसीना के कार्यकाल में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध
बता दें कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत का अहम रोल रहा है। इस कारण भारत के साथ ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना के साथ भारत का मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहा है। 1971 से सभी भारतीय सरकारों ने इसे जारी रखा है। लेकिन भारत में बढ़ते ध्रुवीकरण और सत्ता तथा विपक्ष के अविश्वास ने भारतीय विदेश नीति पर भी असर डाला है। इसका तजा उदहारण बांग्लादेश में हुई हिंसा है। इस हिंसा में बांग्लादेश के राजनैतिक हत्याओं का नया दौर पैदा कर दिया है, जिसका पहला शिकार हसीना के अवामी लीग के कार्यकर्त्ता और नेता बने हैं। इसके बाद जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा ‘छात्र शिबिर’ ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हिंसा की है। जमात-ए-इस्लामी के हिन्दू विरोधी अजेंडा का शिकार बांग्लादेशी हिन्दू हो रहें हैं। इसके बावजूद भारत में विपक्ष मौन नजर आ रहा है। पूरी दुनिया में अल्पसंख़्यकों की आवाज उठाने वाला भारतीय विपक्ष बांग्लादेशी हिन्दुओं पर हो रही हिंसा पर आश्चर्यजनक रूप से मौन है।

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एक्स (ट्विटर) हैंडल खंगाला
इसी बात को पुख्ता करने के लिए हिन्दुस्थान पोस्ट ने 1 अगस्त से लेकर 12 अगस्त तक का उनका एक्स (ट्वीटर) हैंडल खंगाला। हमने इसके लिए विपक्ष के प्रमुख नेताओं और उनके एक्स हैंडल को देखा, जिसमें कांग्रेस के राहुल गांधी और कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी तथा टीएमसी, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी, शिव सेना (उबाठा) से उद्धव ठाकरे और शिव सेना (उबाठा) तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) से शरद पवार और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) पार्टी से हमने ऑफिशियल हैंडल शामिल है।

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कांग्रेस और राहुल गांधी
हमने 1 अगस्त से 12 अगस्त दोपहर 12 बजे तक के राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के एक्स (ट्वीटर) हैंडल खंगाले। हमने पाया कि कांग्रेस पार्टी के एक्स (ट्वीटर) हैंडल इस दौरान बांग्लादेश को लेकर एक भी पोस्ट नहीं थी। वहीं राहुल गांधी के व्यक्तिगत हैंडल पर बांग्लादेश पर सिर्फ एक ट्वीट है, जिसमे वह अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस को बधाई दे रहें हैं। इसके अलावा कांग्रेस और राहुल गांधी के बांग्लादेश मुद्दे और हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर एक भी पोस्ट नहीं है।

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तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस पार्टी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ऑफिशियल हैंडल खंगाला। हमने पाया कि 8 अगस्त को ममता बनर्जी ने सत्ता परिवर्तन के बाद सेना द्वारा नियुक्त अंतरिम सरकार के नए प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस को बधाई सन्देश दिया, जिसे तृणमूल कांग्रेस के ऑफिशियल हैंडल पर ट्वीट किया गया। इसके अलावा ममता हिंसाग्रस्त हिन्दुओं के बारे में कुछ नहीं बोली। इससे पहले भी जब हसीना बांग्लदेश की प्रधानमत्री थीं, तब ममता हसीना के खिलाफ संघर्ष कर रहे छात्रों को शरण देने की बात कह चुकीं हैं।

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समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ऑफिसियल हैंडल चेक किया और इसमें हमने पाया कि घटना के बाद 12 अगस्त को अखिलेश यादव ने एक्स (ट्वीटर) पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नज़रियेवाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए। भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है।” इसके आवला उन्होंने कोई भी पोस्ट नहीं किया है।

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शिवसेना (उबाठा) और उद्धव ठाकरे
शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र की पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ऑफिशियल हैंडल चेक किया। इसमें हमने पाया कि 7 अगस्त को शिवसेना (उबाठा) ऑफिशियल हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया गाय है, जिसमे वह बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा की है। उसने केंद्र सरकार को तत्काल बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करने की है। इसके साथ ही उसने सरकार पर तंज कसा है। इसके अलवा दोनों हैंडल पर कोई पोस्ट नहीं है।

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एनसीपी (शरदचंद्र पवार) पार्टी और शरद पवार
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और महाराष्ट्र के पूर्व मुखयमंत्री शरद पवार का ऑफिशियल हैंडल खंगाला। इसमें हमने पाया कि शरद पवार ने अपने हैंडल से एक्स (ट्वीटर) पर कुछ पोस्ट नहीं किया है। इस मुद्दे पर वे मौन रहे हैं, वहीं उनकी पार्टी के हैंडल पर दो ट्वीट किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा गया है। इसका हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा या राजनैतिक अस्थिरता से कोई लेना-देना नहीं है।

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