सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद मामले में 2016 के अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच पहले तय करेगी कि नबाम रेबिया पर पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ के पास भेजा जाए या नहीं।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि आखिर राज्यपाल राजनीति में कैसे दखल दे सकते हैं। राज्यपाल को राजनीतिक मामलों और सरकार के गठन में दखल नहीं देना चाहिए।
नबाम रेबिया का फैसले में कुछ बदलाव की जरूरत
15 फरवरी को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नबाम रेबिया फैसले पर शिव सेना के दोनों गुटों के तर्क पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि दोनों पक्षों के हिसाब से उनके लिए यह फैसला सही या गलत हो सकता है, क्योंकि यह इस पर निर्भर है कि आप किस पक्ष की वकालत कर रहे हैं। कोर्ट ने नबाम रेबिया के 2016 के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि नबाम रेबिया का फैसले में कुछ बदलाव की जरूरत है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि आखिरकार यह बदलाव पांच जजों की बेंच कर सकती है या फिर इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाना चाहिए।
इस तरह चली अब तक सुनवाई
-सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त, 2022 को शिवसेना का मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंप दिया था। संविधान बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
-संविधान बेंच ने 27 सितंबर, 2022 को उद्धव गुट की याचिका खारिज करते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया था।
-इससे पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि संविधान बेंच तय करेगी कि क्या स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो वह अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे।
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