नई दिल्ली। चीन है कि मानता नहीं। पहले घुसपैठ की साजिश की, लेकिन हमारे सूरमाओं ने उसकी इस साजिश को पूरी तरह नाकाम कर दिया। उसके बाद उसने ताबड़तोड़ करीब 200 राउंड फायरिंग कर हमारे जवानों को डराने की कोशिश की लेकिन उसकी यह कोशिश भी बेकार साबित हुई। अब वह लद्दाख क्षेत्र में फिंगर 4 के पास लाउडस्पीकर पर पंजाबी गाने सुनाकर हमारे वीर जवानों का मनोबल तोड़ने की कोशिश में लगा है लेकिन उसकी इस चाल को हमारे जवान अच्छी तरह समझ रहे हैं और निश्चित रुप से उसकी यह चाल भी सफल नहीं होगी।
दरअस्ल 29-30 अगस्त को पैंगोग के दक्षिणी किनारे से लेकर रेजांग ला के पास रेकिन ला तक के ऑपरेशन से चीनी सेना को काफी बड़ा झटका लगा है और अब वह भारतीय सैनिकों के मनोबल को तोड़ने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है।
हमारे जवानों का मनोबल तोड़ने की चाल
दरअस्ल चीनी सेना भारतीय सेना के जवानों को गुमराह करने के लिए उन्हें पंजाबी गाने सुना रही है और उन्हे यह संदेश भी देने की कोशिश कर रही है कि भारतीय नेता उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि पूरी सर्दियों के मौसम में ऐसी ठंडी जगह पर तैनात रहना कितना मुश्किल और खतरनाक है। इसके साथ ही वह गरम खाने और अच्छी तरह रहने के सुख के बारे में भी चीनी सेना प्रवचन दे रही है।
इससे पहले भी आजमाया था यह हथकंडा
बताया जाता है कि चीन 1962 में भी युद्ध के पहले लद्दाख के पश्चिमी और पूर्वी सेक्टर में यह तरकीब आजमा चुका है। इसके साथ ही 1967 के नाथू ला टकराव के समय भी चीन ने इसी तरह की चाल चली थी, लेकिन शायद उसे यह अहसास नहीं है कि स्थितियां काफी बदल चुकी हैं। अब भारत और भारतीय सेना उसके किसी भी साजिश और हमले का जवाब देने का पूरा दमखम रखता है।
8 सितंबर को हुई थी टकराव
फिंगर 4 में 8 सितंबर को दोनों देश की सेना के जवानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। उस रात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक इस क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारे जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया था। इस दौरान उन्होंने हमारे जवानों को कार्रवाई के लिए उकसाने की कोशिश में करीब 200 राउंड फयारिंग की थी। लेकिन हमारे सैनिकों ने पूरी वीरता के साथ संयम दिखाते हुए जवाब में कोई कार्रवाई नहीं की थी और सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया था।
29-30 अगस्त को भारतीय सेना ने खदेड़ा
29-30 अगस्त को भी चीन ने पैंगोग इलाके में घुसपैठ करी कोशिश की थी, जिसे हमारी सेना के जवानों ने बड़ी ही बहादूरी के साथ उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया था। हमारे सूरमाओं ने पीएलए के जावानों को न सिर्फ खदेड़ दिया था, बल्कि वीरता दिखाते हुए ऊंचाईवाले इलाकों पर कब्जा भी कर लिया था। जानकार बताते हैं कि पिछले 20 दिन में पूर्वी लद्दाख में हमारी और चीनी सेना के बीच कम से कम तीन बार फायरिंग हो चुकी है।
15 जून से बढ़ा तनाव
दरअस्ल चीन और भारत के बीच तनाव तो पहले से ही था लेकिन 15 जून के बाद यह काफी बढ़ गया है। दरअस्ल भारत और चीन के कमांडरों के बीच बातचीत में 6 जून को यह तय हुआ था कि दोनों देशों के सैनिक पुरानी पोजिशन पर लौट जाएंगे। 15 जून की रात को भारत के कर्नल संतोष बाबू सैनिकों के साथ यह देखने गए कि समझौते के मुताबिक चीनी सैनिक लौटे या नहीं। वहां चीनी सैनिक मौजूद थे। बाबू ने इसका विरोध किया। इस दौरान चीनी सैनिकों ने साजिश के तहत हमला किया, जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए। चीन के भी 43 से ज्यादा सैनिक मारे गए, हालांकि चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की।
हमारे जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में एलएसी के पास हालात के बारे में पूरी जानकारी देश के लोगों से साझा किया है। उन्होंने राज्य सभा में बुधवार को कहा कि मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है, और वे किसी भी संकट का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने देश को आश्वस्त किया है कि हम चीन के सामने किसी भी हालत में नहीं झुकेंगे और उसके हर कदम का उसी की भाषा में जवाब देंगे।