Bharat Jodo Yatra has Naxalite connection: कांग्रेस और समान विचारधारा वाले दलों का समर्थन, प्रवीण दीक्षित की चेतावनी

महाराष्ट्र विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने खुलासा किया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का संबंध नक्सलियों से रहा है।

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Bharat Jodo Yatra has Naxalite connection: महाराष्ट्र विधानसभा(Maharashtra Legislative Assembly) में बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस(Chief Minister Devendra Fadnavis) ने खुलासा किया कि राहुल गांधी(Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा का संबंध नक्सलियों(Naxalites) से रहा है। इस यात्रा में भाग लेने वाले कुछ ग्रुप माओवादियों से संबंधित(Some groups related to Maoists) थे। यह बात सामने आई है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और अन्य गुटों के नेताओं ने राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए काठमांडू में माओवादियों के साथ बैठक(Meeting with Maoists) की योजना बनाई थी। फडणवीस ने कहा, महायुति की महाराष्ट्र चुनाव में जीत(Mahayuti wins Maharashtra elections) हुई है। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित(Former Director General of Police Praveen Dixit) ने चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस और समान विचारधारा वाले दलों ने माओवादियों के साथ मिलकर जो साजिश(The conspiracy hatched in collaboration with Maoists) रची है, वह राज्य और देश के लिए काफी खतरनाक है।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और राज्य की पुलिस बलों के बीच बहुत अच्छा समन्वय
सुरक्षा की दृष्टि से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और राज्य की पुलिस बलों के बीच बहुत अच्छा समन्वय है। इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि माओवादियों ने भारत और भारत के बाहर जो प्रयास शुरू किए हैं, उन्हें कुचल दिया जाएगा, प्रवीण दीक्षित ने कहा। पूर्व डीजीपी ने कहा कि वे उन सामाजिक मुद्दों को उठाकर सार्वजनिक आक्रोश पैदा करेंगे, जो असंतोष का कारण बन सकते हैं और इससे लोगों के बीच उन संस्थाओं के बारे में संदेह का माहौल पैदा होगा, जो संवैधानिक हैं। वहीं जनता द्वारा चुने गये लोग काम नहीं करना चाहते, यही माओवादियों की कार्य पद्धति है। प्रवीण दीक्षित ने यह भी कहा कि यही कारण है कि अब उन्होंने ईवीएम का विरोध करना शुरू कर दिया है।

देश की जनता का नहीं मिलेगा समर्थन
आईपीएस अधिकारी ने कहा कि मूल रूप से उन्होंने जो विषय उठाया है, वह पूरी तरह से गलत है। क्योंकि ईवीएम जैसे वैज्ञानिक, तकनीकी मामले में कोई भी विरोधी गुट सुप्रीम कोर्ट या चुनाव आयोग को यह नहीं दिखा पाया कि सिस्टम में क्या खराबी है। जब विपक्षी दल ईवीएम के जरिए चुनाव में उतरते हैं तो अपनी जीत का जश्न मनाते नजर आते हैं, जैसे वायनाड से प्रियंका वाड्रा चुनी गई हैं, या फिर जब झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस जीत गई तो इस ग्रुप ने खुशी मनाई, लेकिन जब हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में ईवीएम के जरिये इन्हें बुरी तरह हार मिली तो इस समूह ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिलेगा, उनकी पाखंडी भूमिका को जनता के सामने यथासंभव उजागर किया जायेगा। इसलिए माओवादी चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, भारत की जनता भविष्य में उनकी गलत नीतियों का समर्थन नहीं करेगी। यह बात स्पष्ट हो गई है।

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सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने कहा कि कुछ सामाजिक संगठन राजनीतिक मुद्दों पर विरोध करते हैं, सड़कों, बांधों के निर्माण का विरोध करते हैं या कानून पारित नहीं होने देते।

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